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370 में संशोधन नहीं कर सकते, हटाना तो भूल ही जाइए

9 Aug 2023

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बोले वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल

नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 से जुड़ी याचिकाओं पर मंगलवार को भी सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल वकील ने जिरह की। सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार ने संविधान में संशोधन के लिए आर्टिकल 370(1)(डी) के तहत शक्तियों का इस्तेमाल किया, आर्टिकल 356 का नहीं। इस पर सिब्बल ने कहा कि इसके लिए जम्मू और कश्मीर सरकार की मंजूरी चाहिए, यह सरकार मंत्रिमंडल है। सीजेआई ने कहा कि लेकिन आर्टिकल 370 का क्लॉज डी खुद ही निरस्त किए जाने का रास्ता दिखाता है, क्या ऐसा नहीं है? सिब्बल ने जवाब दिया कि फिर मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। कपिल सिब्बल ने कहा कि आप अनुच्छेद 370 में संशोधन नहीं कर सकते। इसे हटाना तो भूल ही जाइए। आप संविधान सभा को प्रतिस्थापित नहीं कर सकते।


जो आप प्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते, अप्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते। सिब्बल ने कहा कि 356 के तहत संसद स्वयं विधानसभा बन जाती है, खुद को सिफारिश करती है, 370 के तहत संविधान सभा के रूप में शक्तियों का इस्तेमाल करती है… तो आपने सारी शक्तियां समाहित कर ली- राज्?य विधायिका, संसद, संविधान सभा और खुद को ही मंजूरी दे दी। सीजेआई ने पूछा कि आपके अनुसार, जे एंड के संविधान सभा खत्म हो गई, तो आर्टिकल 370 को निरस्त करने की शक्ति भी खत्म गई? इस पर सिब्बल ने कहा कि मैं उतना दूर नहीं जाऊंगा। मुझे लगता है कि कुछ शक्ति उपलब्ध है- शायद अनुच्छेद 368 में।


सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं से और स्पष्टता चाही


सीजेआई चंद्रचूड़ ने फिर याचिकाकर्ताओं की दलील ‘आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान है’ पर और क्लैरिटी चाही। सीजेआई ने कहा कि इसे पार्ट 21 में टेंपरेरी प्रोविजन की तरह क्यों रखा गया। सीजेआई ने कहा कि 370(3) में ही निरस्त किए जाने की शर्ते हैं। सिब्बल ने कहा कि ऐसा संविधान सभा की सिफारिश पर ही होना चाहिए।

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