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तय समय पर उतरेगा चंद्रयान-3

22 Aug 2023

सॉफ्ट लैंडिंग से पहले चंद्रमा के सुदूर हिस्से की भेजी तस्वीरें

श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) का चंद्रयान-3 चंद्रमा के बेहद करीब पहुंच गया है। भारतीय समयानुसार 23 अगस्त की शाम 6,04 बजे विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। यह इस पूरे प्रोजेक्ट का सबसे अहम चरण होने जा रहा है। चंद्रयान की सफलता के लिए देशभर में प्रार्थनाएं हो रही हैं।


चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर ISRO ने बड़ा अपडेट दिया है। ISRO ने अपने एक्स हैंडल पर बताया कि मिशन तय शेड्यूल के मुताबिक चल रहा है और निर्धारित समय ही लैंडिंग होगी।ISRO ने कहा, ‘लैंडिंग का सीधा प्रसारण 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम 5.20 बजे शुरू होगा।’इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा, “लैंडिंग के संबंध में निर्णय लैंडर माड्यूल और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर लिया जाएगा। अगर कोई भी प्रतिकूल हालात दिखते हैं, तो लैंडिंग 23 अगस्त को होगी।”


भारत के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -2 को जुलाई 2019 में लांच किया गया था और सितंबर, 2019 में लैंडिंग साइट के बहुत करीब तकनीकी खराबी के कारण लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह मिशन 99.99 प्रतिशत सफल रहा था। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 यान 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा।



अंतरिक्ष एजेंसी ने रविवार सुबह लैंडिंग मॉड्यूल का दूसरी और अंतिम बार गति कम करने के लिए डीबूङ्क्षस्टग (धीमा करने की प्रक्रिया) ऑपरेशन किया था। उन्होंने बताया कि स्तह उतरने पर रोवर को चंद्रमा पर यथास्थन प्रयोग करने के लिए लैंङ्क्षडग मॉड्यूल से बाहर निकाला जाएगा। उन्होंने बताया है कि दूसरा डीबूङ्क्षस्टग अभियान रविवार सुबह 02:00 बजे किया गया और लैंङ्क्षडग मॉड्यूल निर्दिष्ट लैंङ्क्षडग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करेगा और 23 अगस्त को संचालित लैंङ्क्षडग शुरू होगी। उन्होंने कहा कि इसके बाद चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान अब चंद्रमा से करीब 25 किलोमीटर दूर है। इसरो ने कहा कि मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा और निर्दिष्ट लैंङ्क्षडग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा।


सॉफ्ट लैंडिंग से पहले चंद्रमा के सुदूर हिस्से की तस्वीरें भेजी


इसरो ने सोमवार को चंद्रयान-3 द्वारा चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंङ्क्षडग’ करने से पहले चंद्रमा के इसके सुदूर हिस्से की तस्वीरें जारी कीं। इसरो ने कहा कि ये तस्वीरें लैंडर हैजर्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (एलएचडीएसी) द्वारा ली गई हैं। इसरो ने एलएचडीएसी द्वारा ली गई सभी चार तस्वीरों को जारी किया है। यह कैमरा, लैंडिंग के दौरान पत्थरों या गहरी खाई के बिना एक सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र का पता लगाने में सहायता करता है, इसरो ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), बंगलुरु में विकसित किया है। एसएसी, इसरो के प्रमुख केंद्रों में से एक है जो इसरो के अभियानों के लिए अंतरिक्ष उपकरणों का डिजाइन एवं सामाजिक लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों का विकास और संचालन पर केंद्रित है। अनुप्रयोगों में संचार, प्रसारण, नेविगेशन, आपदा निगरानी, मौसम विज्ञान, समुद्र विज्ञान, पर्यावरण निगरानी और प्राकृतिक संसाधन सर्वेक्षण आदि शामिल हैं।

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