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भारतीय वायुसेना ने हैवी ड्रॉप सिस्टम का किया सफल परीक्षण

20 Aug 2023

युद्ध के मैदान में आसानी से पहुंचेगा गोला-बारूद

नई दिल्ली| भारतीय वायुसेना ने हैवी ड्रॉप सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। जो रक्षा निर्माण के क्षेत्र में मेक इन इंडिया के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। बता दें कि पी-7 हैवी ड्रॉप सिस्टम को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ)द्वारा विकसित किया गया है, जिसकी मदद से युद्ध के मैदान में सात टन तक वजन तक के साजो सामान को पैराशूट के जरिए आसानी से पहुंचाया जा सकता है, जिसे डीआरडीओ की सहयोगी इकाई एरियल डिलिवरी रिसर्च एंड डिवेलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई) ने डिजाइन किया है। बता दें कि हैवी ड्रॉप सिस्टम का उपयोग युद्ध के मैदान में सैन्य सामान या गोला-बारूद को आसानी से पहुंचाने में किया जाएगा।


सात टन वजनी साजो सामान को पैराशूट के जरिए से ठिकाने तक पहुंचा सकेगी एयरफोर्स


इसकी मदद से सात टन यानी 7000 किलोग्राम तक के सैन्य भंडार जिसमें वाहन, गोला-बारूद, उपकरण आदि शामिल हैं को पैराशूट से नीचे गिराने के लिए किया जाएगा। हैवी ड्रॉप सिस्टम आईएल-76 विमान के लिए एक प्लेटफॉर्म और विशेष पैराशूट सिस्टम होता है। यह पैराशूट सिस्टम एक मल्टी-स्टेज पैराशूट सिस्टम है, जिसमें पांच मुख्य कैनोपी, पांच ब्रेक शूट, दो सहायक शूट, एक एक्सट्रैक्टर पैराशूट शामिल हैं। इस सिस्टम का प्लेटफॉर्म एल्यूमीनियम और स्टील के मिश्रण से बनी एक धातु संरचना है। इस सिस्टम की सबसे खास बात ये है कि इसे शत प्रतिशत स्वदेशी संसाधनों के साथ सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। पी-7 एचडीएस हैवी ड्रॉप सिस्टम को सेना में शामिल कर लिया गया है। इस सिस्टम का निर्माण एलएंडटी कंपनी कर रहा है, जबकि इसके लिए पैराशूट का निर्माण ऑर्डनेंस फैक्टरी द्वारा किया जा रहा है।


पैराशूट पर पानी और तेल का नहीं होगा असर


हैवी ड्रॉप सिस्टम के पैराशूट पर तेल या पानी का कोई असर नहीं होगा। इनका इस्तेमाल लंबे समय तक किया जा सकेगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन काफी लंबे समय से इस सिस्टम को विकसित करने की तैयारी कर रहा था, करीब पांच सालों से हैवी ड्रॉप सिस्टम का परीक्षण किया जा रहा था।

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