
17 Aug 2022
उत्तर प्रदेश की महनत का फल
नई दिल्ली/मालवा हेराल्ड/शुभम ताम्रकार | २०२२-२३ के विधानसभा चुनाव और २०२४ के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी की रणनीति को तेज करने और नये राज्यों में अपनी पहुंच बढ़ाने के इरादे से पार्टी ने अपने मुख्य रणनीतिकारों में से एक सुनील बंसल को राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया। बंसल, जो कि उत्तर प्रदेश में पार्टी के महासचिव थे, अब तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रभारी होंगे |
पार्टी ने तीन राज्यों पर अपनी पैनीं नजरें जमा रखी हैं | तेलंगाना में २०२३ के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी आक्रामक रूप से तैयारी कर रही है, पश्चिम बंगाल में भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और ओडिशा में शुरुवात अभी बाकी है |
२०२४ लोकसभा चुनाव में वोट शेयर बढ़ाने के लिये पार्टी पूर्वी और दक्षिणी राज्यों पर विशेष ध्यान दे रही है | लोकसभा की दृष्टी से देखें तो पांच दक्षिणी राज्यों में १२९ जबकि पश्चिम बंगाल और ओडिशा में ६३ सीटें है | हाल ही में बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संगठन में फ़ेरबदल की शुरुवात कर दी है, बंसल को महासचिव बनाना उसी कड़ी में से एक है |
सुनील बंसल का जन्म २० सितम्बर १९६९ को राजस्थान में जयपुर जिले के कोटपुतली में हुआ | सुनील बंसल गृहमंत्री अमित शाह की पसंद हैं | 2014 के चुनावों की तैयारी के लिए उन्हें राजस्थान से उत्तर प्रदेश लाया गया था | उनकी छवि एक तेज़तर्रार नेता की है, वे जातिगत समीकरणों भलीभांति समझतें हैं | इसके अलावा उन्हें विशेष निर्वाचन क्षेत्र में कमजोरियों को खोजने, उन्हें दूर करके पार्टी के पक्ष परिणाम देने के लिये जाना जाता है |
बंसल ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में यूपी में पार्टी की सफलता की पटकथा लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे भाजपा के मुख्य रणनीतिकारों में से एक हैं, २०१४ के आम चुनाव के दौरान उनकी सराहनीय भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय परिदृश्य तक पहुँचाया। बंसल ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति में कदम रखा था, वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े व्यक्ति है | बंसल के काम करने की शैली थोड़ी अलग है, वे निजी प्रचार प्रसार से दूरी बनाकर संगठन की रूप में कार्य करते हैं |