
1 Nov 2022
2 नवम्बर 2022 बुधवार को आँवला (अक्षय) नवमी है ।
नारद पुराण के अनुसार
कार्तिके शुक्लनवमी याऽक्षया सा प्रकीर्तता । तस्यामश्वत्थमूले वै तर्प्पणं सम्यगाचरेत् ।। ११८-२३ ।।
देवानां च ऋषीणां च पितॄणां चापि नारद । स्वशाखोक्तैस्तथा मंत्रैः सूर्यायार्घ्यं ततोऽर्पयेत् ।। ११८-२४ ।।
ततो द्विजान्भोजयित्वा मिष्टान्नेन मुनीश्वर । स्वयं भुक्त्वा च विहरेद्द्विजेभ्यो दत्तदक्षिणः ।। ११८-२५ ।।
एवं यः कुरुते भक्त्या जपदानं द्विजार्चनम् । होमं च सर्वमक्षय्यं भवेदिति विधेर्वयः ।। ११८-२६ ।।
कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में जो नवमी आती है, उसे अक्षयनवमी कहते हैं। उस दिन पीपलवृक्ष की जड़ के समीप देवताओं, ऋषियों तथा पितरों का विधिपूर्वक तर्पण करें और सूर्यदेवता को अर्घ्य दे। तत्पश्च्यात ब्राह्मणों को मिष्ठान्न भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दे और स्वयं भोजन करे। इस प्रकार जो भक्तिपूर्वक अक्षय नवमी को जप, दान, ब्राह्मण पूजन और होम करता है, उसका वह सब कुछ अक्षय होता है, ऐसा ब्रह्माजी का कथन है।
कार्तिक शुक्ल नवमी को दिया हुआ दान अक्षय होता है अतः इसको अक्षयनवमी कहते हैं।
स्कन्दपुराण, नारदपुराण आदि सभी पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी युगादि तिथि है। इसमें किया हुआ दान और होम अक्षय जानना चाहिये । प्रत्येक युग में सौ वर्षों तक दान करने से जो फल होता है, वह युगादि-काल में एक दिन के दान से प्राप्त हो जाता है
“ एतश्चतस्रस्तिथयो युगाद्या दत्तं हुतं चाक्षयमासु विद्यात् । युगे युगे वर्षशतेन दानं युगादिकाले दिवसेन तत्फलम् ॥”
देवीपुराण के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमीको व्रत, पूजा, तर्पण और अन्नादिका दान करनेसे अनन्त फल होता है।
कार्तिक शुक्ल नवमी को ‘धात्री नवमी’ (आँवला नवमी) और ‘कूष्माण्ड नवमी’ (पेठा नवमी अथवा सीताफल नवमी) भी कहते है। स्कन्दपुराण के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला पूजन से स्त्री जाति के लिए अखंड सौभाग्य और पेठा पूजन से घर में शांति, आयु एवं संतान वृद्धि होती है।
आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास होता है तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है। अक्षय नवमी के दिन अगर आंवले की पूजा करना और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवला जरूर खाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदे गिरती है और यदि इस पेड़ के नीचे व्यक्ति भोजन करता है तो भोजन में अमृत के अंश आ जाता है। जिसके प्रभाव से मनुष्य रोगमुक्त होकर दीर्घायु बनता है। चरक संहिता के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला खाने से महर्षि च्यवन को फिर से जवानी यानी नवयौवन प्राप्त हुआ था।
आंवला नवमी को अतुलनीय धन प्राप्ति हेतु पुजा का शुभ मुहूर्त_
आंवला नवमी कब है? आज हम यहां आपको शुभ मुहूर्त बतायेंगे। साथ ही क्यों इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का खास महत्व है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाकर खाने का भी विशेष महत्व होता है। अगर आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाने में असुविधा हो तो घर में खाना बनाकर आंवले के पेड़ के नीचे जाकर पूजा करने के बाद भोजन करना-करवाना चाहिए।_
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय या आंवला नवमी के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। और आंवले के पेड़ की पूजा भी की जाती है। इस दिन स्नान, दान, व्रत-पूजा का विधान रहता है। यह संतान प्रदान करने वाली और सुख समृद्धि को बढ़ाने वाली नवमी मानी जाती है।_
भारतीय सनातन धर्म में पुत्र की प्राप्ति के लिए आंवला नवमी की पूजा को अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 2 नवम्बर 2022 दिन बुधवार को अक्षय नवमी है। कहा जाता है, कि यह पूजा व्यक्ति के समस्त पापों को दूर कर शुभ फलदायी मानी जाती है। इसीलिए कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाएं आंवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।_
आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने एवं खाने का महत्त्व_
मित्रों, अक्षय नवमी के दिन आंवले के नीचे भोजन बनाकर खाने का भी विशेष महत्व है। अगर आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने में असुविधा हो तो घर में खाना बनाकर आंवले के पेड़ के नीचे जाकर पूजा करने के बाद भोजन करना चाहिए। भोजन में खीर, पूड़ी और मिठाई बनानी चाहिए। अनेकों प्रकार के मिष्टान्न तैयार करके सर्वप्रथम आंवले के वृक्ष में भगवान का आवाहन करना एवं विधि-विधान पूर्वक पूजन करके समस्त पकवानों का भोग लगाना चाहिए। उसके उपरांत ब्राह्मणों को श्रद्धा से भोजन करवाना चाहिए। भोजन के उपरान्त दक्षिणा देना चाहिए। कहा गया है, कि आज गुप्त दान भी करना चाहिए। क्योंकि आज का दान अक्षय माना जाता है।_
अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। इसलिए आज पानी में आंवले का रस मिलाकर स्नान करने की परंपरा भी है। ऐसा करने से हमारे आसपास से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता बढ़ती है। साथ ही यह त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके बाद पेड़ की जड़ों को दूध से सींचकर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटना चाहिए। फिर रोली, चावल, धूप दीप से पेड़ की पूजा करें। आंवले के पेड़ की 108 परिक्रमाएं करने के बाद कपूर या घी के दीपक से आंवले के पेड़ की आरती करें।_
इसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मण भोजन भी कराना चाहिए। आखिर में खुद भी आंवले के पेड़ के पास बैठकर भोजन करने कि परम्परा है। अक्षय नवमी को धात्रीनवमी और कूष्माण्ड नवमी भी कहा जाता है। घर में आंवले का पेड़ न हो तो किसी बगीचे में आंवले के पेड़ के पास जाकर पूजा दान आदि करने की परंपरा है। या फिर गमले में आंवले का पौधा लगाकर घर में भी यह काम पूरा कर लेना चाहिए।_
अक्षय अथवा आंवला नवमी के पूजन का शुभ मुहूर्त_
अक्षय नवमी पूजन के पूर्वान्ह का समय- सुबह 06:31 AM से 8:29 AM तक। इसके बाद दोपहर में विजय मुहूर्त में कर सकते हैं। शाम को यह पूजन प्रदोष काल में भी करें तो अत्यंत शुभ फलदायी होता है। अक्षय नवमी आंवला नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त
अक्षय नवमी तिथि की शुरुआत- 01 नवंबर को रात 11 बजकर 04 मिनट से
अक्षय नवमी तिथि का समापन- 02 नवंबर को रात 09 बजकर 09 मिनट पर
अक्षय नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 34 मिनट से 12 बजकर 04 मिनट तक
अक्षय नवमी पर इन उपायों को करने से दूर होंगी परेशानियां_
मित्रों, अक्षय नवमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होकर घर में सदा के लिए वास करती है। अक्षय नवमी के दिन अपने स्नान करने के जल में आंवला के रस की कुछ बूंदे डालें। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा तो जाएगी ही साथ ही माता लक्ष्मी भी घर में विराजमान होंगी।_
अक्षय नवमी के दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक प्रज्जवलित करें। बत्ती में रुई की जगह पर लाल रंग के धागे का इस्तेमाल करें। साथ ही हो सके तो दीपक में केसर भी डाल दें। इससे देवी जल्द प्रसन्न होकर कृपा करेंगी। दिन में पूजन के बाद शाम को 5 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर खीर खिलाएं। सभी कन्याओं को पीला कपड़ा और दक्षिणा देकर विदा करें। इससे माता लक्ष्मी जी बहुत प्रशन्न होती हैं। इसके अलावा शुद्ध स्फटिक श्री यंत्र का गाय के दूध से अभिषेक करें। अभिषेक का जल की छींटे पूरे घर में करें। श्रीयंत्र को कमलगट्टे के साथ तिजोरी में पर रख दें। ऐसा करने से अतुलनीय धन का लाभ होता है।_
इस उपाय से दूर होगा कुंडली से शनि दोष_
मित्रों, अगर आपकी कुंडली में शनि का दोष है तो अक्षय नवमी के दिन से आरंभ कर 41 दिन लगातार लाल मसूर की दाल की कच्ची रोटी बनाकर मछलियों को खिलाएं। इससे मंगल ग्रह मजबूत होता है। साथ ही कर्ज या भूमि जायदाद से जुड़ी समस्या में कमी आती है। इससे माता महालक्ष्मी की कृपा भी बरसती है। वहीं मंगल ग्रह शांति के लिए ब्राह्मणों और गरीबों को गुड़ मिश्रित दूध या चावल खिलाएं। नवमी तिथि की स्वामिनी देवी माता दुर्गा जी हैं। ऐसे में जातक को माता दुर्गा की उपासना भी इस दिन अवश्य करनी चाहिए।