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सहजयोग में आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति अत्यंत सुंदर दिव्य अनुभूति है

6 Oct 2023

हम ध्यान धारणा से सत्य की ओर चलते हैं

कभी सोचा है इस धरती पर सभी कार्य कैसे कार्यान्वित होते हैं जितनी भी सारी जीवंत क्रियाएं होती है वह सभी परमात्मा के सर्वव्यापी शक्ति से ही कार्यान्वित होती हैं। सहज योग सह अर्थात साथ, ज अर्थात जन्मी हुई, योग अर्थात सर्वव्यापक शक्ति से जुड़ना। मनुष्य के जन्म के साथ ही उसके साथ एक शक्ति जन्म लेती है। यह कुंडलिनी नामक शक्ति मनुष्य के रीढ़ की हड्डी के नीचे त्रिकोण आकार अस्थि के अंदर  सोई हुई अवस्था में रहती है।


सहजयोग में आत्मसाक्षात्कार के बाद कुंडलिनी शक्ति मनुष्य के मध्य नाड़ी से सातों चक्रों को पार करके तालु अस्थि का भेदन करती है और परम चैतन्य से इसका मिलन होता है। तब योग घटित होता है हम हाथों की हथेलियों पर और सिर के तालू भाग पर शीतल चैतन्य लहरियों के रूप में इसकी अनुभूति करते हैं। यही आत्मसाक्षात्कार है यह अत्यंत सुंदर दिव्य अनुभूति है।


परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी के माध्यम से 1970 में मानवीय चेतना के इतिहास में पहली बार सामूहिक स्तर पर प्रयत्न रहित आत्मसाक्षात्कार का अनुभव संभव हुआ जिसे सहजयोग के नाम से जाना जाता है। धरती पर कण-कण में परमात्मा का अंश है। मनुष्य, प्राणी, पेड़ पौधे, सभी परमात्मा की शक्ति से ही कार्य कर रहे हैं। प्रत्येक आत्मा में परमात्मा का ही प्रतिबिंब है और जब आत्मा परमात्मा की शक्ति से एकाकार होती है, तब आत्मा का प्रकाश अपने चित्त पर प्रकाशित होता है और सभी देवी देवताओं की शक्ति हमारे अंदर कार्यान्वित होती है।


ध्यान धारणा से हम सत्य की ओर चलते हैं और निर्विचार स्थिति प्राप्त करके एक आनंददाई स्थिति में चले जाते हैं। कई जन्मों के बाद हमें इस जन्म में श्रीमाताजी की कृपा से सहजयोग प्राप्त हुआ योगी के मुख पर एक तेज निखरता है यही जीवन का सत्य है, आत्मा से  परमात्मा तक का मिलन है l साथ ही इस योग की साधना के पश्चात् शारीरिक व्याधियों से भी मुक्ति मिलती है और आप सभी बंधनों से मुक्त हो स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं।


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