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योग शिक्षा से संभव है कुंडलिनी शक्ति का जागरण

27 Oct 2023

साधक को मिलती है शांति, संतुष्टि व प्रसन्नता के नए आयाम में स्थापित में मदद

जीवन पूर्ण रूप से परमात्मा की कृपा के अनुरूप ही चलता है, पर फिर भी इस पर मनुष्य अपने आप को सबसे बड़ा व्यक्ति समझ लेता है। जीवन की वास्तविकता क्या है, यह सभी तरह के विचारों से परे है, इसी कारण श्री माताजी निर्मला देवी ने आत्म साक्षात्कार कुंडलिनी जागरण की सरल विधि साधकों को और भक्तों को बताई है । जिससे वह अपने अंदर की शांति का अनुभव कर सके। यह योग शिक्षा पूर्ण रूप से निःशुल्क है और इसमें किसी प्रकार की प्रक्रिया करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि हमारे अंदर स्थित कुंडलिनी शक्ति द्वारा यह संचालित होती है।


जिस प्रकार हम धरती को हमारी मां मानते हैं उसी प्रकार कुंडलिनी शक्ति भी हमारी मां है, जो हमारा पूर्ण ध्यान रखती है।  मानव शरीर की तीन नाडियां -1. बाईं नाड़ी 2. दाईं नाड़ी 3. मध्य नाड़ी। सहजयोग में कुण्डलिनी के उत्थान में यह मध्यमार्ग  एक अहम् भूमिका निभाता है। मध्यनाड़ी को ब्रह्मनाड़ी भी कहते है। यह अत्यंत सूक्ष्म नाड़ी है। आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति के समय जब कुंडलिनी ऊपर चढ़ती है, तब वह इसी ब्रह्मनाड़ी से होकर गुजरती हुई तालु में स्थित अस्थि क्षेत्र को भेदती है। तालु में स्थित इसी अस्थि क्षेत्र को ब्रह्मरंध्र कहा जाता है। ब्रह्मरंध्र के भेदन से मानव सर्वव्यापी ईश्वर की शक्ति से जुड़ जाता है यानि कि उसका योग उस शक्ति से हो जाता है। ईश्वर से एकाकारिता प्राप्त होती है। परिणाम स्वरूप हाथों की हथेलियों, उंगलियों के पोरों पर और तालु भाग पर शीतल लहरियों की अनुभूति होती है।


ब्रह्म नाड़ी में श्री महालक्ष्मी की शक्तियाँ बहती हैं। उन्होंने ही उत्थान के मध्यमार्ग की सृष्टि की है। मध्य मार्ग अर्थात् ब्रह्मनाड़ी से ही कुंडलिनी का उत्थान हो सकता है। महालक्ष्मी की शक्ति ही हमारी दाईं और बाईं नाड़ी को संतुलित करती है। यह मध्य यानि ब्रह्म नाड़ी ही करुणा एवं प्रेम का मार्ग है। ब्रह्म नाड़ी में महालक्ष्मी की शक्तियाँ कुंडलिनी के लिए खुला मार्ग बनाती है। करुणा और प्रेम के माध्यम से ही वह इस मार्ग का सृजन करती है। यह अत्यंत लचीली शक्ति है जो कुंडलिनी का चक्रों तक मार्ग- निर्देशन करती है। कुंडलिनी शक्ति का जागरण साधक को आध्यात्मिक व भौतिक दोनों ही क्षेत्रों में एक नए आयाम में स्थापित करता है, जहां पूर्ण शांति, संतुष्टि व प्रसन्नता का अनुभव प्रदान करता है।


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