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कैसे प्रकट हुआ गायत्री मंत्र? जाने जप का महत्त्व और विधि

9 Apr 2024

जीवन में सुख संपत्ति पाने के लिए करें गायत्री मंत्र का जाप

कुछ बातें गायत्री मंत्र के बारे में -


  • गायत्री मंत्र प्रति सेकेण्ड 1,10,000 ध्वनि तरंगें उत्पन्न करता है।

  • उत्साह एवं सकारात्मकता बढ़ती है।

  • मनुष्य के मुखमण्डल की आभा बढ़ जाती है

  • बुराइयों से मन दूर होता है।

  • धर्म और सेवा कार्यों में मन लगता है।

  • पूर्वाभास होने लगता है।

  • आशीर्वाद देने की शक्ति बढ़ती है।

  • स्वप्न सिद्धि प्राप्त होती है।

  • क्रोध शांत होता है।


माँ दुर्गा का गायत्री स्वरुप


  • गायत्री ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र की सन्निहित शक्ति है, उर्जापुंज है।

  • गायत्री कामधेनु है, इसकी साधना से सभी इक्षित को प्राप्त किया जा सकता है।

  • एक लाख गायत्रीमंत्र का जप रक्षा कवच है, इससे ज्यादा जितना जप उतना सुदृढ़ रक्षा कवच। यदि 4 माला प्रतिदिन और नवरात्रि में 15 माला प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप किया जाय तो एक अभेद्य रक्षकवच बन जाता है।

  • ब्रह्माजी, बशिष्ठजी और विश्वामित्र जी के शाप विमुक्ति के विना किया गया जप भी समान फलदायी है।

  • सुबह गायत्री ब्रह्म स्वरूपिणी, मध्यान विष्णु स्वरूपिणी और शाम में शिव स्वरूपिणी है।

  • गायत्रीमंत्र इस दुनिया का सबसे प्रभावी मंत्र है।


गायत्री मंत्र का महत्व


सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था। इसके बाद ब्रह्मा जी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या देवी गायत्री की कृपा से अपने चारों मुखों से चार वेदों के रुप में की। प्रारंभ में गायत्री मंत्र केवल देवताओं के लिए ही था। बाद में महर्षि विश्वामित्र ने अपने कठोर तप से गायत्री मंत्र को जन जन तक पहुंचाया।


गायत्री मन्त्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्तियों- सिद्धियों के प्रतीक हैं। इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मन्त्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।


ॐ भूर्भुवः स्वः।

तत्सवितुर्वरेण्यं।

भर्गो देवस्य धीमहि।

धियो यो नः प्रचोदयात्।।


भावार्थ - उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। गायत्री मन्त्र जपने के अनेकों लाभ है। गायत्री मन्त्र का नियमित रुप से सात बार जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ बिलकुल नहीं आती। व्यक्ति का तेज बढ़ता है, बौद्धिक क्षमता और मेधाशक्ति यानी स्मरणशक्ति बढ़ती है। मानसिक चिन्ताओं से मुक्ति मिलती है।


गायत्री मंत्र जप करने की विधि


इस मंत्र के जप करने के लिए रूद्राक्ष की माला का योग करना श्रेष्ठ होता है। जप से पहले स्नान आदि कर्मों से खुद को पवित्र कर लेना चाहिए। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। घर के मंदिर में या किसी पवित्र स्थान पर गायत्री माता का ध्यान करते हुए मंत्र का जप करना चाहिए।


गायत्री मन्त्र को मंत्रराज होने का सम्मान प्राप्त है। इस मन्त्र की महिमा अपरम्पार व अकथनीय है। इस मन्त्र में इतनी शक्ति समाहित है कि संसार की किसी भी समस्या का समाधान इस के माध्यम से किया जा सकता है। यही नहीं, यदि सम्पूर्ण विधि विधान के साथ इस मन्त्र का जप किया जाय, तो किसी भी मनोवांछित कामना की पूर्ति हो सकती है।

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