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शास्त्रों के अनुसार विभिन्न नक्षत्रों में देवी पूजन में अर्पण किये जाने वाले नैवेद्य का वर्णन

12 Apr 2024

देवी को प्रसन्न करने के लिए लगायें इन द्रव्यों का भोग

देवी भागवतपुराण अध्याय २४ श्लोक क्रमांक २४ से लेकर २८ तक विभिन्न नक्षत्रों में देवी को लगाये जाने वाले भोग प्रसाद का वर्णन हैसत्ताईस नक्षत्रों में दिये जाने वाले नैवेद्य के विषय में देवी भागवत में कुछ विशेष पदार्थ बताए गए हैं। घी, तिल, चीनी, दही, दूध, मलाई, लस्सी, लड्डू, फेणिका, घृतमण्ड (शक्कर पारा), कंसार (गेहूँ के आटे तथा गुड़ से निर्मित पदार्थ विशेष), वटपत्र (पापड़), घेवर, वटक (बड़ा), कोकरस (खजूर का रस), घृत मिश्रित चने का चूर्ण, मधु, सूरन, गुड़, चिउड़ा, दाख, खजूर, चारक, पूआ, मक्खन, मूँग का लड्डू और विजौरा नींबू, ये सत्ताईस नक्षत्रों के नैवेद्य बताये गये हैं


शनिवारे घृतं गव्यं नैवेद्यं परिकीर्तितम् ।

सप्तविंशतिनक्षत्रनैवेद्यं श्रूयतां मुने ॥ २४ ॥


घृतं तिलं शर्करां च दधि दुग्धं किलाटकम् ।

दथिकूर्ची मोदकं च फेणिकां घृतमण्डकम् ॥ २५ ॥


कंसारं वटपत्रं च घृतपूरमतः परम् ।

वटकं कोकरसकं पूरणं मधु सूरणम् ॥ २६ ॥


गुडं पृथुकद्राक्षे च खर्जूरं चैव चारकम् ।

अपूपं नवनीतं च मुद्‍गं मोदक एव च ॥ २७ ॥


मातुलिङ्गमिति प्रोक्तं भनैवेद्यं च नारद ।

विष्कम्भादिषु योगेषु प्रवक्ष्यामि निवेदनम् ॥ २८ ॥


नक्षत्र

नैवेद्य

अश्विन

घी

भरणी

तिल

कृत्तिका

चीनी

रोहिणी

दही

मृगशिरा

दूध

आर्द्रा

मलाई

पुनर्वसु

लस्सी

पुष्य

लड्डू

आश्लेषा

फेणिका

मघा

घृतमण्ड (शक्करपारा)

पूर्वाफाल्गुनी

कंसार (गेहूँ के आटे तथा गुड़ से निर्मित पदार्थ विशेष)

उत्तराफाल्गुनी

वटपत्र (पापड़)

हस्त

घेवर

चित्रा

वटक (बड़ा)

स्वाति

कोकरस (खजूरका रस)

विशाखा

घृतमिश्रित चनेका चूर्ण

अनुराधा

मधु

ज्येष्ठा

सूरन

मूल

गुड़

पूर्वाषाढ़ा

चिउड़ा

उत्तराषाढ़ा

दाख

श्रवण

खजूर

धनिष्ठा

चारक

शतभिषा

पूआ

पूर्वाभाद्रपद

मक्खन

उत्तराभाद्रपद

मूँगका लड्डू

रेवती

विजौरा नींबू


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