top of page

आज से शुरू हुए होलाष्टक, आठ दिनों तक नहीं होंगे कोई भी मांगलिक कार्य

17 Mar 2024

25 मार्च को खेली जाएगी होली

होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 17 मार्च 2024, रविवार से शुरू होंगे और फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च 2024 पर समाप्त होंगे। इस दिन होलिका दहन होगा और 25 मार्च 2024 को रंगवाली होली खेली जाएगी।

होलाष्टक शब्द होली और अष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है होली के आठ दिन। होलाष्टक के दौरान सभी ग्रह उग्र स्वभाव में रहते हैं, जिसके कारण शुभ कार्यों का अच्छा फल नहीं मिल पाता है।


मांगलिक कार्य वर्जित


होलाष्टक होली से 8 दिन पहले शुरू हो जाते हैं, धार्मिक मान्यता के अनुसार इन आठ दिनों में कोई भी मांगलिक कार्यक्रम जैसे शादी, विवाह, मुंडन, गृह निर्माण, गृह प्रवेश आदि कार्य वर्जित माने जाते हैं।


17 मार्च, रविवार से लेकर होली दहन तक होलाष्टक के दिन रहेंगे।


होलाष्टक का अर्थ


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि, होलाष्टक के इन आठ दिनों में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। यही वजह है कि इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।


इन दिनों में ग्रहों का भी होता है, उग्र प्रभाव


इसके अलावा ज्योतिष मान्यता के अनुसार कहा जाता है की होलाष्टक के दिनों में अष्टमी तिथि के दिन चंद्रमा, नवमी तिथि के दिन सूर्य, दशमी तिथि के दिन शनि, एकादशी तिथि के दिन शुक्र, द्वादशी तिथि के दिन गुरु, त्रयोदशी तिथि के दिन बुध, चतुर्दशी तिथि के दिन मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र अवस्था में रहते हैं। ऐसे में इस दौरान अगर कोई भी मांगलिक कार्य किया जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की परेशानियां, बाधाएँ, रुकावटें और समस्या आने की आशंका बढ़ जाती है।ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार ग्रहों के स्वभाव में उग्रता आने के चलते इस दौरान अगर कोई व्यक्ति शुभ कार्य करता भी है या ऐसा कोई फैसला लेता भी है तो वह शांत मन से नहीं ले पाता है और यही वजह है कि उनके द्वारा लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं या उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।


ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि होलाष्टक की इस समयावधि में उन जातकों को विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता हैं या फिर चंद्रमा छठे, आठवें, बारहवें भाव में होते हैं।


होलाष्टक एवं धार्मिक मान्यताएं


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के 8 दिन वह दिन होते हैं जब हिरनकश्य ने भक्त प्रहलाद को 8 दिनों तक कठोर यातनाएं दी थी। इसलिए इन दिनों में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते। वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार-: फाल्गुन शुक्ल पक्ष के दौरान मौसम परिवर्तन हो जाता है और जिससे बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। इसलिए इस समय अधिक सावधानी रखना बताया गया है।


होलाष्टक के दिनों में क्या करना चाहिए


जिस तरह से भक्त प्रहलाद ने भगवान विष्णु की उपासना- जप- स्तुति इत्यादि करते हुए भगवान विष्णु की भक्ति व आशीर्वाद के अधिकारी बने थे और भगवान ने प्रहलाद के सभी कष्टों का निवारण किया था। इसी तरह होलाष्टक के इन दिनों में सभी उपासकों को भगवान की उपासना- स्तुति- नाम जप- मंत्र जप- कथा श्रवण इत्यादि करना चाहिए।

bottom of page