
3 Sept 2023
गृहस्थ लोगों के लिए 6 सितंबर को व्रत रखना शुभ
जन्माष्टमी के दिन भगवान विष्णु के 8वें अवतार भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। हर साल जन्माष्टमी भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है। जिस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ उस दिन रोहिणी नक्षत्र था। इसलिए जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र का विचार विमर्श किया जाता है।
कब रखा जाएगा जन्माष्टमी का व्रत
भाद्रपद अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को शाम में 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। इसी के साथ रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी।
6 सितंबर को बना शुभ जयंती योगइस बार 6 सितंबर को बहुत ही शुभ जयंती योग भी बन रहा है। इसलिए गृहस्थ लोगों के लिए 6 सितंबर के दिन जन्माष्टमी का व्रत रखना बहुत ही शुभ रहने वाला है। इसके अलावा साधु और ऋषियों के लिए 7 सितंबर के दिन जन्माष्टमी का व्रत रहेगा।
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी का पर्व भारत में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की कृपा पाने के लिए लोग व्रत रखते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव के लिए मंदिरों में बहुत अच्छी साज सज्जा की जाती है। भगवान कृष्ण के जन्म के लिए आधी रात में लोग मंदिरों में इकट्ठा होते हैं। देश के कई हिस्सों में इस दिन दही हांडी का आयोजन भी किया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 6 या 7 सितंबर 2023 कब है ? यहां जानें सही तारीख, पूजा के शुभ मुहूर्त
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व कब 6 या 7 सितंबर को कब मनाया जाएगा इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है जबकि इसमें किसी भी प्रकार का कोई भ्रम नहीं है। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि की रात को मध्यकाल में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। बस तभी यह अष्टमी मानाएं। अब यह अष्टमी की रात कब है? आइए जानते हैं साल 2023 में जन्माष्टमी की तारीख और पूजा का मुहूर्त।
कब हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म
श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को आठवें मुहूर्त में रात्रि के शून्यकाल में रोहणी नक्षत्र में वृषभ लग्न के संयोग में हुआ था। यानी अष्टमी तिथि के आठवें मुहूर्त में रोहणी नक्षत्र में ही जन्माष्टमी मनाई जाना चाहिए।
रोहिणी नक्षत्र शुरू- 06 सितंबर 2023, सुबह 09:20.
रोहिणी नक्षत्र समाप्त- 07 सितंबर 2023, सुबह 10:25.
अष्टमी तिथि प्रारंभ:- अष्टमी तिथि 06 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट पर आरंभ हो रही है।
अष्टमी तिथि समाप्त:- अष्टमी तिथि का समापन 07 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा।
6 सितंबर वालों का तर्क:-
तिथि प्रारंभ और अंत को देखें तो 6 सितंबर की रात को 12 बजे ही कुछ लोग अष्टमी मनाना चाहते हैं क्योंकि श्रीकृष्ण का जन्म को रात में ही हुआ था। परंपरा से तो रात्रि की 12 बजे ही मनाते हैं। इस दिन रोहिणी नक्षत्र भी रहेगा।
7 सितंबर वालों का तर्क:-
कई विद्वान कहते हैं कि श्रीकृष्ण का जन्म तो अष्टमी के आठवें मुहूर्त में ही हुआ था इसलिए हम तो 7 सितंबर को जब आठवां मुहूर्त लगेगा तभी जन्माष्टमी मनाएंगे।
रात्रि के 12 कब बजेंगे:- इसका अर्थ यह है कि रात्रि के 12 तब बजेगे जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के मान से 7 सितंबर की तारीख प्रारंभ होगी।
स्मार्त या गृहस्थ संप्रदाय के लोगों की जन्माष्टमी:-
6 सितंबर की रात्रि को ही स्मार्त संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे। परंपरा से गृहस्थ जीवन के लोगों को इस दिन (अर्थात 6 सितंबर को) जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा।
स्मार्त संप्रदाय के लिए निशिता पूजा का समय- 06 सितंबर 2023 की रात्रि 12:02 एएम से 12:48 एएम, सितम्बर 07 तक।
पारण का समय- 07 सितंबर को शाम 04:14 के बाद।
इस्कॉन संप्रदाय के लोगों की जन्माष्टमी:-
वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव उदयातिथि यानी 7 सितंबर को मनाएंगे।
निशिता पूजा का समय- 7 सितंबर की रात्रि (8 सितंबर लग जाएगा) 12:02 एएम से 12:48 एएम तक।
पारण का समय- सितम्बर 08 सुबह 06:11 बजे के बाद।
रोहिणी नक्षत्र के मान से 6 सितंबर के दिन के बाद रात्रि में मनाना चाहिए जन्माष्टमी का पर्व:-
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ 06 सितंबर 2023, सुबह 09:20
रोहिणी नक्षत्र समाप्त- 07 सितंबर 2023, सुबह 10:25
मध्यरात्रि पूजा का समय- 12:02 - 12:48 (7 सितंबर 2022)
व्रत पारण समय- 7 सितंबर 2023, सुबह 06.09 मिनट के बाद।
पंडित सतीश नागर उज्जैन
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