
21 Aug 2023
मानवीय चेतना के विकास में सहायक
जाति, संप्रदाय, महामारी, युद्ध विभीषिका जैसी अनेक समस्याओं से आज का विश्व जूझ रहा है। विकास व विज्ञान के नाम पर भी हमने जो कुछ यंत्र - तंत्र आदि विकसित किए हैं उनमें से भी कई अंततः हमारी किसी न किसी समस्या का आधार ही बने हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमने बौद्धिक विकास तो किया परंतु व्यक्तिगत स्तर पर हम शाश्वत सत्य से दूर लोभ, मोह, क्रोध, माया आदि चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं। अनेक प्रकार के भय हमारे अंतस को जकड़े हुए हैं यही मुख्यतः हमारी अनेक शारीरिक व मानसिक समस्याओं का कारण हैं। हम परमात्मा को भी अपने भय को दूर करने के लिए ही पूजते हैं उनके साथ हमारा कोई संबंध स्थापित नहीं हो पाता है।
श्री माताजी निर्मला देवी जी द्वारा प्रदत्त सहजयोग ध्यान एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम संपूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान को साक्षात् अनुभव कर पाते हैं। यह आपके व्यक्तित्व को इस प्रकार प्रकाशित कर देता है कि आप इस के मार्गदर्शन में दिव्यता को अनुभव कर पाते हैं। कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति के पश्चात् आपके सभी चक्र व नाड़ियां इस प्रकार संतुलित हो जाती हैं कि अनेक प्रकार के शारीरिक रोग, मानसिक व्याधियां स्वत: ही दूर हो जाती हैं। सहजयोग द्वारा विश्व भर में लाखों लोग इस अनुभव को प्राप्त कर चुके हैं। अनेक प्रकार के असाध्य रोगों, नशे की आदतों तथा अनेक प्रकार के बंधनों से लोगों ने स्वयं ही मुक्ति पाई है। यह सब संभव होता है आत्मदर्शन द्वारा, आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति के पश्चात् हम स्वयं के प्रति सच्चे हो जाते हैं। यह विवेक हमें वर्तमान में स्थापित कर देता है तथा हम साक्षी अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं। तब हमारा प्रत्येक कर्म स्वयं ही धर्म बन जाता है।
श्री माताजी ने स्वयं वर्णित किया है कि "जब यह कुण्डलिनी उठती है तो मानवीय चेतना में एक जीवन्त क्रिया शुरू हो जाती है जिसका परिणाम आध्यात्मिक उत्क्रान्ति है। आध्यात्मिक जीवन का यह विकास एक नयी अवस्था है जिसमें मनुष्य अपने अन्तर्जात देवत्व में उन्नति करने लगता है। यह उसके शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा आध्यात्मिक अस्तित्व का पोषण करता है और इसे प्रकाशित करता है।"