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Nag Panchami: सांपों को अपनी ही माता ने क्यों दिया श्राप?

18 Aug 2023

भगवान शिव के गले का आभूषण है नाग

सनातन एवं हिंदू धर्मग्रंथों में नाग देवता को प्रत्येक पंचमी तिथि का देवता माना गया है। इसके अलावा नाग भगवान शिव के गले का आभूषण भी हैं, इसीलिए उनका महत्व अधिक है। नाग पंचमी का पर्व धार्मिक आस्था का प्रतीक है, इस दिन नाग की पूजा का विशेष महत्व है।


कैसे करें नाग पूजन?


- नाग पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सुबह उठकर घर की सफाई करके नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं।

- तत्पश्चात स्नान कर धुले हुए साफ एवं स्वच्छ कपड़े धारण करें।

- नाग पूजन के लिए सेंवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाएं।

- कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन पहले ही भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी (ठंडा) खाना खाया जाता है।

- इसके बाद दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवार पर घर जैसा बनाते हैं और उसमें अनेक नागदेवों की आकृति बनाते हैं।

- कुछ जगहों पर सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगलों में पांच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजते हैं।

- सर्वप्रथम नागों की बांबी में एक कटोरी दूध चढ़ा आते हैं।

- फिर दीवार पर बनाए गए नागदेवता की दही, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सेंवई व मिष्ठान से उनका भोग लगाते हैं।

- तत्पश्चात आरती करके कथा का श्रवण किया जाना चाहिए।


नागदेव के पूजन से लाभ


देश के अलग-अलग प्रांतों में नागदेव की अलग-अलग तरह से पूजन संपन्न की जाती है। नागदेव के पूजन करने व इनके मंत्रों के जाप करने से कभी भी घर में सर्प प्रवेश नहीं करता है। नागदेव के मंत्र 'ॐ कुरु कुल्ले हुं फट स्वाहा' के जाप से नागदेव प्रसन्न होते हैं और काटने से मृत्यु नहीं होती है। यदि मृत्यु हो भी जाए तो उसे मुक्ति मिलती है।


नाग पंचमी व्रत की शुरुआत कैसे हुई, क्यों नागों को पंचमी तिथि बेहद प्रिय है|


नाग पंचमी का पर्व 21 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा। नागों को पंचमी तिथि बहुत ही प्रिय है। लेकिन, क्या आप जानते हैं नागों की उत्पत्ति कैसे हुई क्यों उनकी अपनी ही माता ने उन्हें मृत्यु का श्राप दिया था।


नांगों के बारे में कुछ बेहद ही रोचक बातें


नाग अगर किसी को दिख जाएं तो अच्छे अच्छे लोगों के पसीने छूट जाते हैं। लेकिन, जिस तरह से देवी देवताओं की पूजा की जाती है वैसे ही हिंदू धर्म में नाग देवता की भी पूजा की जाती है। नागों की पूजा के लिए एक विशेष दिन भी निर्धारित किया गया है।

सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस बार 21 अगस्त 2023 सोमवार के दिन नागपंचमी का पर्व है। नागों को पंचमी तिथि बहुत ही प्रिय है।


क्या आप जानते हैं?


आखिर नाग देवता को पंचमी तिथि इतनी प्यारी क्यों है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में सांपों की उत्पत्ति को लेकर जानकारी दी गई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शक्तिशाली नाग धरती के अंदर नाग लोक में वास करते हैं। नागों को लेकर सिर्फ एक नहीं बल्कि कई मान्यताएं हैं।


कैसे हुई सांपों की उत्पत्ति?


भविष्य पुराण के अनुसार, महर्षि कश्यप की कई पत्नियां थी जिनमें से एक का नाम कद्रू और दूसरी का नाम विनिता था। एक बार महर्षि कश्यप ने अपनी पत्नी कद्रू की पत्नी को प्रसन्न होकर उन्हें तेजस्वी नागों की माता बनने का वरदान दिया। इस तरह हई सांपों की उत्पत्ति हुई। वहीं, ऋषि कश्यप की दूसरी पत्नी विनिता। पक्षीराज गरुड़ की माता बनी। कद्रू और विनिता के बीच हमेशा ही ईर्ष्या रहती थी।


नागपंचमी व्रत की शुरुआत कैसे हुई, क्यों नागों को पंचमी तिथि बेहद प्रिय है


सांपों को अपनी ही माता ने क्यों दिया श्राप


समुद्र मंथन के दौरान एक सफेद रंग का बहुत ही सुंदर घोड़ा प्रकट हुआ था। जिसे देखकर विनिता से कहा कि देखो कितना सुंदर घोड़ा है। कद्रू विनिता को नीचा दिखाना चाहती थी। कद्रू बोली इस घोड़े की पुंछ काली है। फिर कद्रू ने नांगों के पास जाकर उनसे कहा कि तुम इस घोड़े पर लिपट जाओ और ताकी उसकी पूंछ काली प्रकट हो। नागों ने ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि हम सत्य के मार्ग पर ही चलेंगे। इससे क्रोधित होकर कद्रू ने अपने पुत्रों को ही श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि पांडव वंश में राजा जनमेजय होंगे जो नागों का विनाश करने के लिए सर्प मेध यज्ञ करवाएंगे। उनके यज्ञ में जलकर तुम सभी मर जाओगे।


नागों को क्यों प्रिय है पंचमी तिथि


श्राप मिलने के बाद नाग पुत्र दुखी हुए और वह वासुकी नाग को आगे कर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी बोले चिंता मत करो। तुम्हारी एक बहन होगी जरत्कारु उनका विवाह जरत्कारु नाम के ऋषि से ही होगा। इन दोनों से आस्तिक नामक पुत्र उत्पन्न होगा। वह इस यज्ञ को रोकेगा और नागों की रक्षा करेगा। जिसे सुनकर नाग बहुत प्रसन्न हुए। समय आने पर राजा जनमेजय ने राजा परीक्षित की सर्प द्वारा मृत्यु होने पर नाग वंश का नाश करने के लिए सर्प मेध यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में लाखों करोड़ों नाग जलकर भस्म होने लगे जब आस्तिक मुनि वहां पहुंचे और उन्होंने नाग यज्ञ को रुकवाया और नागों के ऊपर ठंडा दूध डाला। जिससे नागों के शरीर को ठंडक मिली साथ ही धान का लावा रखा। इससे नागों की जीवन बच गया। नागों की अस्तित्व धरती पर रह गया। जिस दिन ब्रह्मा जी ने नागों के बचने का वरदान दिया था। उस दिन पंचमी तिथि थी। जिस दिन आस्तिक मुनि ने यज्ञ को रुकवाकर नागों को बचाया उस दिन भी पंचमी तिथि थी।


नागों ने दिया यह वरदान


नागों ने वचन दिया की जो भी व्यक्ति आस्तिक मुनि का नाम लेगा वहां से वह बिना किसी को नुकसान पहुंचाए चले जाएंगे। साथ ही नाग पंचमी के दिन जो व्यक्ति लकड़ी, मिट्टी, गोबर से नाग बनाकर उन्हें फूल, दूध धान लावा से पूजे करेंगे उनको और उनके परिवार को नाग भय नहीं रहेगा। इस तरह नागपंचमी व्रत पूजा की शुरुआत हुई और नागों को पंचमी तिथि प्रिय हुआ।


इक्कीस अगस्त को है नाग पंचमी, चार विशेष उपायों के साथ पढ़ें पूजन विधि और कथा


सावन मास की शुक्‍ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का त्‍योहार मनाया जाता है। आर्चाय पंडित सतीश नागर के अनुसार पंचमी तिथि के स्‍वामी स्‍वयं नाग देवता हैं। इस दिन नाग देवता की ही पूजा की जाती है।


पूरी सृष्टि में भारत ही एक मात्र देश है जहां प्रकृति की पूजा की जाती है। यहां के अधिकांश त्योहार प्रकृति के संरक्षण का संदेश ही देते हैं। इसी कड़ी में त्योहार है नाग पंचमी का भी। विषधारी सर्प की पूजा का पर्व है नाग पंचमी। इस वर्ष नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त हो मनाया जाएगा। सनातन धर्म में प्राचीन समय से ही नागों को देवता के रूप में पूजा गया है। नाग पंचमी के दिन नाग पूजा का विशेष महत्‍व होता है। ऐसा भी माना जाता है कि जो व्‍यक्‍ति इस दिन नाग पूजन करता है, उसे सांपों के डर से मुक्‍ति मिल जाती है या उसे सर्प नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। नाग पंचमी को सांपों को दूध पिलाने या दूध चढ़ाने से व्‍यक्‍ति को नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग का चित्र बनाने का भी रिवाज है। माना जाता है कि इससे घर पर नाग देवता की कृपा से कोई संकट नहीं आता है।


नाग पंचमी पूजन का शुभ मुहूर्त


नाग पंचमी पूजा का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इसकी अवधि 2 घंटे 42 मिनट की है।

पंचमी तिथि आरंभ - 21 अगस्‍त को सुबह 5 बजकर 13 मिनट से

पंचमी तिथि समाप्‍त - 22 अगस्‍त को सुबह 5 बजे तक


नाग पंचमी का व्रत और पूजन विधि


इस त्‍योहार में 8 नागों की पूजा की जाती है जिनके नाम हैं - अनंत, वासुकि, पदमा, महापदमा, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख।


नाग पंचमी से एक दिन पूर्व यानि चतुर्थी के दिन एक ही समय खाना खाएं और अगले दिन पंचमी को व्रत रखें। व्रत खोलने के बाद रात्रि को भोजन कर सकते हैं। पूजा के लिए लकड़ी के पाटे पर नाग देवता की मूर्ति या तस्‍वीर रखें। नाग देवता को हल्‍दी, रोली, अक्षत और फूल अर्पित करें।


इसके बाद नाग देवता को दूध, चीनी और घी चढ़ाएं। नाग पंचमी के दिन नाग देवता को प्रसन्‍न करने के लिए आप दान भी कर सकते हैं। पूजा में चढ़ाया गया दूध नाग रखने वाले लोगों को दे सकते हैं। अब नाग पंचमी की कथा सुनें और इसके पश्‍चात् नाग देवता की आरती करें।


नाग पंचमी की प्रचलित कथा


अर्जुन के पोते और परिक्षित के पुत्र जन्‍मजेय ने नागों से प्रतिशोध लेने और उनके पूरे वंश को नाश करने के लिए नाग यज्ञ रखा था क्‍योंकि परिक्षित के पिता को तक्षक नाग ने ही मारा था। नागों की रक्षा के लिए ऋषि जराटकारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने इस यज्ञ को रोका था। जिस दिन उन्‍होंने यज्ञ को रोका था, उस दिन श्रावण शुक्‍ल की पंचमी थी। उन्‍होंने तक्षक और उनके पूरे वंश का नाश होने से रोका था। मान्‍यता है कि उसी दिन से नाग पंचमी का त्‍योहार मनाने की शुरुआत हुई थी।


हिंदू पुराणों के अनुसार भगवान ब्रह्मा के पुत्र ऋषि कश्‍यप की 4 पत्नियां थीं। किवदंती है कि उनकी पहली पत्‍नी ने देवता, दूसरी ने गरुड़ और चौथी पत्‍नी ने राक्षस को जन्‍म दिया था। हालांकि, तीसरी पत्‍नी कद्रु का संबंध नाग वंश से था। उन्‍होंने नागों बनाया था।


नाग पंचमी के लिए उपाय


1- भगवान शिव अपने गले में नाग धारण करते हैं और स्‍वयं विष्‍णु भगवान इस पर विराजमान होते हैं। कहा जाता है कि नाग पचंमी को नाग देवता की पूजा करना बहुत शुभ रहता है और व्‍यक्‍ति की सभी इच्‍छाओं की पूर्ति होती है।

2- सांप को दूध पिलाने से सभी पापों और नाग दोष से मुक्‍ति मिल जाती है। कहा जाता है कि ऐसा करने से व्‍यक्‍ति के जीवन से सभी मुश्किलें दूर होती हैं।

3- यदि कोई व्‍यक्‍ति कालसर्प दोष से पीडित है, तो उसे नाग पंचमी के दिन अपने घर के प्रवेश द्वार पर मांगल‍िक या स्‍वास्तिक बनाना चाहिए।

4- नाग पंचमी को 11 नारियल बहते हुए पानी में चढ़ाने से भी कालसर्प दोष को खत्‍म करने में मदद मिलती है।

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