
14 Nov 2022
दीपक जलाते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो सभी दृष्टिकोण से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं---
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
🔅 1. नियमित रूप से दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। ग्रंथों के अनुसार, रोज शाम को घर के मुख्य दरवाजे पर एवं तुलसी के पास दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं..।
🔅 2. पूजा करते समय घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर जलाना चाहिए। तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए..।
🔅 3. दीपक हमेशा भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने लगाना चाहिए। घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग किया जाना चाहिए। जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती श्रेष्ठ बताई गई है..।
🔅 4. पूजन में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। धार्मिक कार्यों में खंडित सामग्री शुभ नहीं मानी जाती है। दीपक जलाते समय इस मंत्र को बोलना चाहिए---:
"शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्।
शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।।"
मंत्र को हिंदी में भी बोल सकते हैं :--
" शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है।"
🔅 5. शास्त्रों की मान्यता है कि मंत्र जाप के साथ दीपक जलाने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही, शत्रु बुद्धि, कुविचारों का विनाश होता है..।
🔅 6. दीपक मिट्टी व पीतल, चांदी, सोना आदि धातुओं का शुभ रहता है।
🔅 7. दीपक के लिए शुद्ध गाय का देसी घी उपयोग में लेना श्रेष्ठ है., तिल का तेल व सरसों का तेल भी उपयोग में लिया जा सकता है..।
🔴दीपक जलाने के लिए नकली तेल व घी का उपयोग भूल कर भी नहीं करना चाहिए..❗
जयश्री राधेकृष्णा
🌷
इसी प्रकार श्री तुलसी जी के तोड़ने के नियम
तुलसी जी को तोडने से पहले वंदन करो।
🌱🍃🌱🍃🌱🍃🌱🍃🌱🍃🌱🍃
1🍂तुलसी जी को नाखूनों से कभी नहीं तोडना चाहिए,नाखूनों के तोडने से पाप लगता है।
2🍂 सांयकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए ।
3🍂 रविवार को तुलसी पत्र नहीं
तोड़ने चाहिए ।
4🍂 जो स्त्री तुलसी जी की पूजा करती है। उनका सौभाग्य अखण्ड रहता है । उनके घर
सत्पुत्र का जन्म होता है ।
5🍂 द्वादशी के दिन तुलसी को नहीं तोडना चाहिए ।
6🍂 सांयकाल के बाद तुलसी जी लीला करने जाती है।
7🍂तुलसी जी वृक्ष नहीं है! साक्षात् राधा जी का अवतार है ।
8🍂तुलसी के पत्तो को चबाना नहीं चाहिए।
"तुलसी वृक्ष ना जानिये।
गाय ना जानिये ढोर।।
गुरू मनुज ना जानिये।
ये तीनों नन्दकिशोर।।
अर्थात-
तुलसी को कभी पेड़ ना समझें, गाय को पशु समझने की गलती ना करें और गुरू को कोई साधारण मनुष्य समझने की भूल ना करें, क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान रूप हैं।