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कार्तिक मास के नियम और उनका महत्व

30 Oct 2023

माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का महिना है कार्तिक

जो कार्तिक मास प्राप्त हुआ देख पराये अन्न का सर्वथा त्याग करता है (बाहर का कुछ नही खाता) उसे अतिक्रच्छ नामक यज्ञ करने का फल मिलता है| जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को कमल के फूल चढाता है। वह 1 करोड जन्म के पाप से मुक्त हो जाता है।


जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को तुलसी चढाता है, वह हर 1 पत्ते पर 1 हीरा दान करने का फल पाता है। जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज गीता का एक अध्याय पडता है वह कभी यमराज का मुख नही देखता|


कार्तिक मास मे तुलसी पीपल और विष्णु की रोज पूजा करनी चाहिए। जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु के मंदिर की परिक्रमा करता है । उसे पग पग पर अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। कार्तिक मास मे दीपदान करने से इस जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास भगवान श्री कृष्ण को सर्वाधिक प्रिय है। इस महीने में पूजा-पाठ का भी बहुत महत्व है।


न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगं|

न वेदं सदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समं||


भावार्थ - कार्तिक के समान कोई महीना नहीं, युगों में सतयुग के समान कुछ नहीं। शास्त्रों में वेदों के समान कुछ नहीं और तीर्थ में गंगा के समान अन्य कुछ भी नहीं है। इसी तरह शास्त्रों में कार्तिक मास के कुछ नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना हिंदू धर्म में अनिवार्य माना जाता है।


हिन्दू धर्म में हर माह का एक अलग महत्व होता है। माह में आने वाले व्रत और त्यौहार कई तरह से विशेष होते हैं। इनमें से एक है कार्तिक माह, जिसमें दीवाली से लेकर भाईदूज और कई सारे व्रत व त्यौहार आते हैं। इन व्रत और त्यौहारों को खास तरीके से मनाया जाता है। माना जाता है कि कार्तिक मास में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस माह में नित्य स्नान करें और हविष्य ( जौ, गेहूं, मूंग, तथा दूध-दही और घी आदि) का एक बार भोजन करें, तो सब पाप दूर हो जाते हैं।


पुराणों के अनुसार, इस मास को चारों पुरुषार्थों- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। स्वयं नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुणसम्पन्न माहात्म्य के सन्दर्भ में बताया है।


संपूर्ण कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को बहुत फायदा मिलता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु जल में ही निवास करते हैं। अगर ऐसा ना कर पाएं तो नहाते समय पानी में गंगाजल जरूर डाल लें। संध्या काल में भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से धन-समृद्धि में वृद्धि होती है और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।


कार्तिक मास में भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भी भक्तों को बहुत लाभ होता है। इसके साथ प्रतिदिन गीता का पाठ करें। इस मास में दान देना भी व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। निस्वार्थ भाव से किसी जरूरतमंद या असहाय को अन्न, धन, कंबल इत्यादि का दान जरूर करें।


पंडित सतीश नागर उज्जैन


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