
15 Oct 2022
अपने घर में पूजा-पाठ और त्योहारों के समय दीपक तो हम सभी जलाते हैं लेकिन कई बार अनजाने में हम कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं जिसका हमें नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए दीप जलाने से जुड़े नियमों को जानना जरूरी है
धर्म ग्रंथों में दीपक या दीया जलाने का बड़ा महत्व बताया गया है. ऋग्वेद की मानें तो दीप में देवताओं का तेज बसता है. यही कारण है कि पूजा-पाठ हो, कोई सांस्कृतिक उत्सव हो या फिर कोई त्योहार- सभी की शुरुआत दीप प्रज्वलित करके ही की जाती है. दीपक या दीये के प्रकाश को ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है क्योंकि यह अंधकार से उजाले की ओर ले जाता है. यही कारण है शास्त्रों में सुबह-शाम घर में दीपक जलाने की सलाह दी जाती है. ऐसा करने से सभी तरह की परेशानियां समाप्त हो जाती है, घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मन को भी शांति मिलती है. इस अनुसार दीप जलाते समय हमें कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए-
दीप जलाते वक्त इन नियमों का पालन करें
1. कहां रखें दीपक- ज्योतिष शास्त्र की मानें तो पूजा करते समय केवल दीप जलाना ही प्रर्याप्त नहीं है बल्कि उसे कहां रखना है यह भी जानना उतना ही जरूरी है. इसलिए दीप को हमेशा भगवान की तस्वीर के ठीक सामने रखना चाहिए. इसके अलावा अगर घी का दीपक जला रहे हैं तो उसे अपने बाएं हाथ की ओर रखें और तेल का दीपक जला रहे हों तो उसे अपनी दाईं ओर रखें.
2. कैसी होनी चाहिए बाती- बहुत से लोग हर तरह के दीप में एक ही बाती का इस्तेमाल करते हैं लेकिन घी और तेल की बाती अलग-अलग होनी चाहिए. अगर आप घी का दीपक जला रहे हों तो दीप में रुई की बाती रखें लेकिन अगर तेल का दीपक जलाएं तो उसमें लाल धागे की बाती बनाएं. ऐसा करना शुभ माना जाता है.
3. किस दिशा में जलाएं दीपक- बहुत से लोग घर के कोनों में भी दीया जलाते हैं लेकिन ध्यान रखें कि दीपक को कभी भी पश्चिम दिशा में न रखें. ऐसा करने से आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही दीपक को इस तरह से भी न रखें कि उसकी रोशनी दक्षिण (South) दिशा की ओर पड़े. शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना भी शुभ होता है.
4. किस समय जलाएं दीप- जब मन करे तब भगवान की पूजा कर ली या दीपक जला लिया, ऐसा करने से नुकसान हो सकता है. इसलिए सुबह 5 बजे से लेकर 10 बजे तक और शाम में 5 बजे से 7 बजे के बीच में ही दीप जलाना चाहिए.
5. कैसा हो दीपक- ध्यान रहे कि आप पूजा में जिस दीप का इस्तेमाल कर रहे हों वह कहीं से भी खंडित नहीं होना चाहिए. खंडित दीये में दीप जलाने से देवी लक्ष्मी अप्रसन्न हो सकती हैं. साथ ही दीपक जलाने से पहले दीये को अच्छे से साफ कर लें. अगर पूजा करते वक्त किसी कारण दीपक बुझ जाए तो उसे तुरंत दोबारा जलाकर ईश्वर से क्षमा याचना कर लें.
आरती में दीपक बुझ जाने से क्या वाकई होता है अपशकुन? आखिर क्या कहते हैं धर्म शास्त्र
क्या पूजा-अर्चना के दौरान अचानक दीपक का बुझ जाना वाकई किसी अपशकुन की ओर संकेत करता है या फिर इसका कोई अन्य अर्थ है. आज हम शास्त्रों के जरिए इस पर आपका ज्ञानवर्धन करते हैं.
सनातन धर्म में कई ऐसी महान प्राचीन परंपराएं हैं, जो आज भी दुनिया के करोड़ों लोगों का मार्गदर्शन कर रही हैं. इन्हीं में एक परंपरा है दीपक जलाना. शायद ही कोई ऐसा शुभ कार्य होगा, जिसकी शुरुआत दीपक जलाकर न की जाती होगी. मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे जीवन से सभी अंधकार दूर कर देते हैं. लेकिन अगर कभी आरती करते वक्त दीपक बुझ जाए तो यह किस बात का संकेत होता है.
आइए आज इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
देवी-देवताओं के नाराज होने के संकेत
धर्म शास्त्रों के मुताबिक पूजा के दौरान दीपक के बुझ जाने का अर्थ ये होता है कि देवी-देवता आपसे नाराज हैं. ऐसा होने पर पूजा करने वाले की मनोकामनाएं पूर्ण होने में बाधा आती हैं. ऐसी स्थिति में हाथ जोड़कर ईश्वर से सच्चे मन से क्षमा मांग सकते हैं और दोबारा से दीपक प्रज्वलित कर सकते हैं.
सच्चे मन से आराधना न करना भी एक वजह
पूजा के दौरान दीपक बुझ जाने का एक अर्थ ये भी होता है कि व्यक्ति सच्चे मन से ईश्वर की आराधना नहीं कर रहा है. इसकी वजह मोबाइल का इस्तेमाल या दूसरी बातों का ध्यान हो सकता है. ऐसे में बेहतर रहेगा कि पूजा-अर्चना से पहले आप अपने सारे गैजेट्स बंद कर दें.
किसी अनिष्ट का संकेत होता है दीपक का बुझना
आरती के समय दीपक का बुझना किसी अनिष्ट के होने का संकेत होता है. ऐसे में बेहतर रहेगा कि पूजा शुरू करने से पहले आप उसमें पर्याप्त घी-तेल डाल लें. साथ ही उसकी उसकी बाती की लंबाई भी एक बार जांच लें. अगर आप इन सावधानियों का ध्यान रखेंगे तो निश्चित रूप से दीपक देर तक जलता रहेगा.
दीपक जलाने से पहले कूलर-पंखे बंद कर दें
आप जिस जगह पूजा कर रहे हों, वहां पर कूलर-पंखे बंद कर दें. साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि दीपक पर तेज हवा न पड़ रही हो. अगर उस तक तेज हवा आ रही हो तो किसी चीज से उसकी ओट कर दें, जिससे वह बुझने न पाए.
पूजा करते समय दीया बुझना अपशकुन है?आरती करते समय किन बातों का रखना चाहिए ध्यान, जानिये क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र
पूजा के समय दीपक बुझने के कई संकेत होते हैं।
आइए जानते हैं पूजा के समय दीपक बुझना किस बात का संकेत देता है।
हिंदू धर्म में कई तरह की धार्मिक मान्यताएं और प्रथाएं हैं। पूजा के दौरान दीपक बुझना अशुभ माना जाता है। हम किसी भी धार्मिक समारोह में दीपक जलाते हैं। वहीं किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत दीपक जलाकर ही किया जाता है। मान्यता के अनुसार दीप जलाकर देवताओं की आरती करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। दीप जलाकर आरती करने से जीवन का अंधकार दूर होता है और जीवन में प्रकाश और ज्ञान आता है। पूजा के दौरान अगर दीपक बुझ जाए तो क्या होगा? आइए इसके बारे में जानते हैं।
पूजा के समय दीपक बुझने से नहीं पूरी होती मनोकामना
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान अगर दीपक बुझ जाए तो पूजा करने वाले की मनोकामना पूरी होने में बाधा आती है। पूजा में दीपक बुझना देवताओं की अप्रसन्न होने का संकेत माना जाता है।
पूजा के समय दीपक का बुझना इस बात का भी होता है संकेत
वहीं ऐसी भी मान्यता है कि दीया बुझना इस बात का संकेत है कि व्यक्ति ईमानदारी से भगवान की पूजा नहीं कर रहा है। हालांकि, दीपक के बुझने के और भी कई कारण हो सकते हैं। विद्वानों का मत है कि यदि किसी पूजा के दौरान दीपक बुझ जाए तो आप हाथ जोड़कर भगवान से क्षमा मांग सकते हैं और फिर से दीपक जला सकते हैं।
पूजा आरती करते समय इन बातों का रखें ध्यान
ज्योतिष के अनुसार पूजा आरती के दौरान दीपक के संबंध में कुछ विशेष सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है। किसी भी व्यक्ति को इस बात का पूरा ध्यान नहीं रखना चाहिए कि पूजा या आरती के दौरान दीपक बाहर न जाए। इसलिए दीपक बनाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि दीपक में पर्याप्त मात्रा में तेल या घी हो।
हमें दीये में इस्तेमाल होने वाले रुई के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए। इससे उत्पन्न बत्ती ठीक से बनानी चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस स्थान पर आरती की जा रही हो उस स्थान पर हवा बहुत तेज न चले। अगर पंखा, कूलर इधर-उधर चल रहा है, तो उसे बंद करना एक अच्छा विकल्प है।