top of page

कार्तिक मास मे पालन करने योग्य नियम और उसका महात्म्य

11 Oct 2022

कार्तिक मास में इन बातों का ध्यान न रखने से माता लक्ष्मी हो जाती हैं क्रोधित

1 ) जो कार्तिक मास प्राप्त हुआ देख पराये अन्न का सर्वथा त्याग करता है (बाहर का कुछ नही खाता) उसे अतिक्रच्छ नामक यज्ञ करने का फल मिलता है

2) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को कमल के फूल चढाता है। वह 1 करोड जन्म के पाप से मुक्त हो जाता है ।

3) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु को तुलसी चढाता है , वह हर 1 पत्ते पर 1 हीरा दान करने का फल पाता है।

4) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज गीता का एक अध्याय पडता है वह कभी यमराज का मुख नही देखता

5) जो मनुष्य कार्तिक मास मे शालिग्राम शिला का दान करता है उसे सम्पूर्ण पृथ्वी के दान का फल मिलता है ।

6) कार्तिक मास मे जो व्यक्ति पुरे मास पलाश की पत्तल मे भोजन करता है । वह विष्णु लोक को जाता है ।

7) कार्तिक मास मे तुलसी पीपल और विष्णु की रोज पूजा करनी चाहिए ।

8) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज भगवान विष्णु के मंदिर की परिक्रमा करता है । उसे पग पग पर अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।

9 ) इस जन्म मे जो पाप होते है वह सब कार्तिक मास मे दीपदान करने से नष्ट हो जाता है।

10) जो मनुष्य कार्तिक मास मे रोज नाम जप करते है। उन पर भगवान विष्णु प्रसन्न रहते है ।

11) जो मनुष्य कार्तिक मास मे तुलसी ,पीपल या आवले का वृक्षारोपण करते है। वह पेड़ जब तक पृथ्वी पर रहते है। लगाने वाला तब तक वैकुण्ठ मे वास करता है ।


कार्तिक मास में इन बातों का ध्यान न रखने से माता लक्ष्मी हो जाती हैं क्रोधित


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास भगवान श्री कृष्ण को सर्वाधिक प्रिय है। इस महीने में पूजा-पाठ का भी बहुत महत्व है।


शास्त्रों में इस पवित्र मास से जुड़े कुछ खास नियमों को बताया गया है। आप भी जानिए।


हिन्दू धर्म में कार्तिक मास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। भगवान श्री कृष्ण के प्रिय मास में पूजा-पाठ, अनुष्ठान, यज्ञ, स्नान, दान आदि करने से सभी पापों का नाश होता है और सुख समृद्धि व धन की वृद्धि होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2022 में यह पवित्र महीना 10 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। इस महीने में कई हिंदू प्रमुख तीज-त्योहार मनाए जाते हैं। स्कंद पुराण में भी इस पवित्र कार्तिक मास के महत्व को बताया गया है।


‘न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगं, न वेदं सदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समं’,


इस श्लोक का अर्थ है कि

कार्तिक के समान कोई महीना नहीं, युगों में सतयुग के समान कुछ नहीं। शास्त्रों में वेदों के समान कुछ नहीं और तीर्थ में गंगा के समान अन्य कुछ भी नहीं है। इसी तरह शास्त्रों में कार्तिक मास के कुछ नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना हिंदू धर्म में अनिवार्य माना जाता है।


पवित्र कार्तिक मास में क्या नहीं करना चाहिए


ज्योतिष विद्वानों के अनुसार कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और अपनी इंद्रियों पर संयम रखना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर व्यक्ति को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।


कार्तिक महीना चतुर्मास का अंतिम और चौथा महीना है। इसलिए इस महीने में जमीन पर सोना सबसे फलदाई होता है। इसके साथ सात्विक भोजन का पालन करें और किसी गलत विचार को अपने ऊपर हावी ना होने दें।


इस पवित्र मास में तामसिक भोजन बिल्कुल ग्रहण ना करें। इसके साथ प्याज, लहसन और मांसाहार का सेवन भी इस महीने में वर्जित है। मान्यता है कि ऐसा न करने से माता लक्ष्मी अपने भक्तों से रूठ जाती है और ऐसे घर में उनका वास नहीं होता है।


कार्तिक मास में क्या करना चाहिए


संपूर्ण कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को बहुत फायदा मिलता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु जल में ही निवास करते हैं। अगर ऐसा ना कर पाएं तो नहाते समय पानी में गंगाजल जरूर डाल लें।


संध्या काल में भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से धन-समृद्धि में वृद्धि होती है और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।


कार्तिक मास में भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भी भक्तों को बहुत लाभ होता है। इसके साथ प्रतिदिन गीता का पाठ करें।


इस मास में दान देना भी व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। निस्वार्थ भाव से किसी जरूरतमंद या असहाय को अन्न, धन, कंबल इत्यादि का दान जरूर करें।


कार्तिक मास: इन बातों का रखें ध्यान, जानें इस माह में क्या करें क्या ना करें


हिन्दू धर्म में हर माह का एक अलग महत्व होता है। माह में आने वाले व्रत और त्यौहार कई तरह से विशेष होते हैं। इनमें से एक है कार्तिक माह, जिसमें दीवाली से लेकर भाईदूज और कई सारे व्रत व त्यौहार आते हैं। इन व्रत और त्यौहारों को खास तरीके से मनाया जाता है। माना जाता है कि कार्तिक मास में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस माह में नित्य स्नान करें और हविष्य ( जौ, गेहूं, मूंग, तथा दूध-दही और घी आदि) का एक बार भोजन करें, तो सब पाप दूर हो जाते हैं।


पुराणों के अनुसार, इस मास को चारों पुरुषार्थों- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। स्वयं नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुणसम्पन्न माहात्म्य के सन्दर्भ में बताया है।


ज्योतिषों के अनुसार इस माह में कुछ परहेज के साथ उपाय भी हैं, आइए इनके बारे में जानते हैं...


इस माह में क्या करें क्या ना करें


कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है।

वैसे तो हर महीने तुलसी का सेवन व पूजा करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना अधिक माना गया है।

कार्तिक मास में सबसे महत्वपूर्ण काम दीपदान बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।

भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं। इसलिए इस माह में जमीन पर सोना अच्छा माना गया है।

कार्तिक महीने में द्विदलन (फलीदार चीजें व दालें) अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।

व्रती (व्रत करने वाला) को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें। अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करे, मन पर संयम रखें आदि।

कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।


विशेष - जो मनुष्य कार्तिक मास बिना कोई नियम लिए बिता देता है। वह नरक मे वास करता है ।।

 FOLLOW US

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube
bottom of page