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सहज योग दे साक्षी भाव व शांत जीवन मार्ग

18 Aug 2022

निर्लिप्त साक्षीभाव - जीवन जीने की कला

जीवन की परिस्तिथियों में लिप्त ना होना , सुख दुख से परे जाकर जिंदगी का आनंद उठाना , यूं अपनी आपा में समाया होना कि हर समस्या का समाधान सहजता से प्राप्त हो - यह सब जीवन जीने की कला है जो योग के बाद ध्यान करने से मनुष्य के भीतर विकसित होती है।


"जब कुंडलिनी सहस्रार का भेदन करती है, तो आप अपने हाथों में शीतल हवा महसूस करते हैं। यह सौम्य शीतल लहरियां हैं जो कि पवित्र आत्मा या इस सर्वव्यापी शक्ति की ठंडी हवा है। लेकिन जब आप इस अवस्था को प्राप्त करते हैं तो आप आत्मा बन जाते हैं, आप उस पहिए की तरह अत्यंत शान्त बन बन जाते हैं, जो गतिशील है। और अगर आपका चित्त पहिए पर है, उसकी परिधि पर है, तब आपका मन भी हर समय चलायमान रहता है। लेकिन अगर आप पहिए की धुरी पर चित्त डालें, तो यह मौन है। अतः आप पूर्ण मौन के क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं और आप वहाँ से हरेक चीज़ को एक नाटक, एक लीला की तरह देखते हैं। यह सब चीज़ें आपके साथ सहज ही घटित होती हैं। आप पहले से ही इसी तरह से बनाए गए हैं।........ जिस तरह यहां सभी बिजली के बल्ब पहले से ही लगे हुए हैं, उसी प्रकार आपके अंदर ही सब कुछ बना बनाया हुआ है। अगर आपको रोशनी करनी है तो आपको बस उस बटन को दबाना मात्र है।"

परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी जी के 5 अगस्त 1991 के प्रवचन से साभार

साक्षी भाव वर्तमान समय में सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता है. समझने का प्रयास करते हैं कि यह साक्षी भाव आखिर है क्या? हम देख रहे हैं विश्व कितनी तेजी से बदल रहा है. तकनीकी विकास ने, इस ग्लोबलाइजेशन ने जैसे विश्व को एक सूत्र में जोड दिया है. परंतु साथ ही साथ हम एक अशांति में प्रवेश होने से स्वंय को बचा नहीं पा रहे हैं. जिसका कारण है तकनीकी विकास ने मानवता, इंसानियत और भाई चारे को लगभग समाप्त ही कर दिया है. इंसान भी जैसे भावहीन मशीन सा बन गया है. बस पैसे कमाना, सुख सुविधाओं का उपयोग करना और सुखी होने का अभिनय करना यही जिंदगी बन गई है. धर्म, राजनीति, परिवार और समाज हर जगह द्वंद्व है. जो जन साधारण के अंतर में बेचैनी का भाव भर रहा है. .ईश्वर ने जब इंसान को बनाया तो मक्सद था कि इंसान परम को पाये और साक्षी भाव में रहना शुरू करे. वर्तमान में स्थिति यह है कि हमारे आसपास के बदलते परिवेश का प्रभाव हम पर इतना अधिक होता है कि हम हम एक बेचैनी से भरा जीवन जीने को विवश होते हैं. शांति से यदि जीवन जीना है तो हमें ध्यान योग से जुड़ना चाहिए. सहज योग से जुडने पर जब हमारे अंदर स्थित कुंडलिनी शक्ति का जब जागरण होता है तब हमारे अंदर कई गुण विकसित होते हैं जिसमें एक गुण है साक्षी भाव. साक्षी भाव के जागृत होते ही हम पर आसपास के घटनाओं का दुष्प्रभाव नहीं पडता और हम हर एक घटना को साक्षी बनकर देखने लगते हैं. अत: सहज योग से जुड़कर आत्म साक्षात्कार पायें और जीवन का आनंद उठायें.

अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट www.sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं। यूट्यूब पर प्रति शनिवार शाम 6:30 बजे "लर्निंग सहजयोगा" चैनल पर भी सहजयोग ध्यान सिखाया जाता है।

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