
5 Sept 2022
भाद्रपद (भादों) का हिंदी मास चल रहा है
अंग्रेजी कैलेंडर की तरह हिन्दू पंचांग भी 12 महीनों से ही बना है। जिसका सबसे पहला महीना वैशाख है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के अप्रैल-मई का होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अगस्त-सितंबर में भादो आता है। हम आपको यहां भादो यानि भाद्रपद मास में जन्म लेने वाले बच्चों के बारे में बताने जा रहे हैं।
भाद्रपद माह (भादो) में जन्मे जातक उदार विचारों वाले तथा विशाल हृदय वाले होते हैं। ये विश्वसनीय कर्तव्य पालक, दूसरों की सहायता करने वाले तथा सफल व्यापारी होते हैं। इनका चरित्र अधिकतम दृढ़ नहीं रहता। महत्त्वपूर्ण या विशेष कार्यों का ये बड़ी योग्यता के साथ सम्पादन कर पाते हैं, परन्तु कभी-कभी सनक में आकर असाध्य कार्य जो कभी नहीं किया उसको भी प्रारम्भ कर बैठते हैं।
इनका विवाह शीघ्र ही हो जाता है। इनका भाग्योदय 22 वर्ष के बाद हो पाता है। इनका सन्तान सुख मध्यम होता है। शारीरिक स्वास्थ्य सामान्य रहता है। शीत रोगों का भय अधिक होता है। इस माह में जन्मे जातकों का दाम्पत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है। इनके मित्रों की संख्या कम होती है, परन्तु मित्र जितने होते हैं सच्चे होते हैं। भाई बन्धुओं से अधिकतम विवाद बना रहता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों का जन्म भादों में हुआ है वो उदार चरित्र के होते हैं, उनका दिल बहुत बड़ा होता है। इन पर आप पूर्ण रूप से भरोसा कर सकते हैं और ये अपने कर्तव्यों का साथ कभी नहीं छोड़ते। दूसरों की सहायता करने वाले ये लोग एक सफल व्यापारी भी सिद्ध होते हैं।
इनकी सबसे बड़ी कमी यही है कि इनका मन सदा भटकता रहता है। इन्हें खाली या फालतू बैठना बिल्कुल पसंद नहीं आता, वैसे तो ये लोग अधिकतम संपन्न होते हैं लेकिन परिश्रम करना कभी नहीं छोड़ते।
शुक्ल पक्ष में जन्म लेने वाले लोगों में होती हैं ये विशेषताएं, दानवीर के नाम से होते हैं मशहूर
हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में कुल 12 महीने होते हैं और इसमें एक दिन को एक तिथि कहते हैं। इस तिथि की अवधि 19 से 24 घंटों तक की हो सकती है। जानकारी के लिए यह भी बता दें कि पंचांग में यह भी माना जाता है कि हर माह में तीस दिन होते हैं और इन महीनों की गणना सूर्य और चन्द्रमा की गति के अनुसार ही की जाती है। चन्द्रमा की कलाओं के ज्यादा होने या कम होने के अनुसार ही महीने को दो पक्षों में बांटा गया है, जिन्हें कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष कहा जाता है।
आपको बता दें कि अमावस्या और पूर्णिमा के मध्य के चरण को हम शुक्ल पक्ष कहते हैं।
माना जाता है कि कोई भी शुभ काम करने के लिए इस पक्ष को उपयुक्त और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यही वजह है कि हिन्दू समाज में किसी भी नए काम की शुरुआत शुक्ल पक्ष में ही की जाती है।
शुक्ल पक्ष में जन्मे
शास्त्रों में भी इस बात का उचित उल्लेख है कि हर महीने के पंद्रह दिन कृष्ण पक्ष में आते हैं और अन्य पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष में और ऐसे में यदि किसी भी व्यक्ति का जन्म शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ है तो निश्चित रूप से आपकी कुंडली में चंद्रमा बालावस्था में होगा, जिसके अनुसार आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है और इस वजह से आपको इसके नकारात्मक प्रभाव मिल सकते हैं।
लेकिन इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए यह भी बताना चाहेंगे कि शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्णपक्ष की पंचमी तक जन्म लेने वाले जातकों की कुंडली में चंद्रमा बेहद ही मजबूत स्थिति में होता है। ऐसे में इन जातकों को चंद्रमा के प्रभाव में सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। चंद्रमा की शुभ स्थिति के कारण ये लोग इससे जुड़े भाव में सफलता हासिल करते हैं।
शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक का स्वभाव
शुक्ल पक्ष की अवधी में जन्म लेने वाले जातकों को सदैव लम्बी आयु प्राप्त होती है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि ये अन्नदाता, पालन करने वाले, पुत्रवान, दानवीर और उच्च श्रेणी के मित्र वाले इन्सान होते हैं। इस पक्ष को चांदण पक्ष भी कहा जाता है। चूंकि शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक रौशनी और उजाले का प्रतीक माने जाते हैं
इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह बताया गया है कि शुक्ल पक्ष में जन्म लेने वाले व्यक्ति का स्वभाव भी पूर्णिमा के चांद के समान उज्जवल और रौशन होता है। जो भी शिशु इस पक्ष में जन्म लेता है उसे ज्ञानी और कई विषयों में महारथ रखने वाला माना जाता है, साथ ही इन जातकों की बुद्धि सुन्दर और शुद्ध होती है। यह भी मान्यता है कि इस दौरान जन्म लेने वाले व्यक्ति जिस भी कार्य को करने की ठान लेते हैं, उसे पूरे मन से और पूरी कुशलता के साथ करते हैं। क्योंकि ये जातक बहुत ही परिश्रमी होते हैं और इनकी सबसे खास बात ये होती है कि ये लोग कभी भी मेहनत करने से पीछे नही हटते।
शुक्ल पक्ष में जन्मे लोगों की और भी है विशेषता
इस बात से तो आप बेहतर ही परिचित होंगे कि जो भी व्यक्ति मेहनत से नहीं कतराता है सफलता उसी के कदमों को चूमती है। साथ ही ये कठिनाइयों को भी आसानी से पार कर लेते हैं। कुछ ऐसी ही इनकी भी फितरत होती है। इसके अलावा आपको यह भी बताते चलें कि ये अपनी बुद्धिमता और मेहनत से धन को अर्जित करने में भी सफल रहते हैं, इसलिए इन्हें कभी भी धन से संबंधित किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। इनके स्वभाव की सबसे अच्छी विशेषता यही है कि ये सरल और स्नेहशील परवर्ती के व्यक्ति होते हैं। ये जातक अपने से बड़ो का आदर करने में कभी कोताही नहीं बरतते और अपने से छोटों के प्रति इनके मन में हमेशा प्रेम भाव बना रहता है। कला में भी ये काफी दिलचस्पी रखते हैं।
कुछ ऐसे होते हैं कृष्ण पक्ष में जन्मे लोग, स्वभाव से निष्ठुर होने के साथ-साथ होते हैं क्रूर
हिंदू धर्म में ग्रहों और नक्षत्रों को लोग काफी महत्वपूर्ण मानते हैं। व्यक्ति के जन्म के समय से उसके भाग्य का और उसके स्वभाव का पता लगाया जाता है। जब भी किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसके जन्म के समय को सबसे पहले नोट किया जाता है। इसके द्वारा उसके ग्रहों नक्षत्रों को देखते हुए उसकी कुंडली बनाई जाती है जो उसका आने वाला भविष्य कैसा रहेगा इन सब बातों के बारे में पता लगता है।
ज्योतिष के अनुसार बच्चे के जन्म के समय के साथ उसके स्वभाव पर उसके घर के माहौल का भी बेहद असर पड़ता है। इसी के साथ उसकी कुंडली में जो ग्रह विराजमान होते हैं वो भी उसके जीवन पर असर डालते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार व्यक्ति की कुंडली के ग्रहों से व्यक्ति के स्वभाव के बारे में बताया जा सकता है।
बता दें कि जहां पर लोग अंग्रेजी कैलेंडर देखते हैं उसकी तरह से हिंदू धर्म का कैलेंडर पंचांग होता है।
साथ ही बता दें कि हिंदू धर्म में पंचांग का विशेष महत्व होता है।
सनातन धर्म के पंचांग का विशेष महत्व एवं क्यों कहा जाता है इसे पंचांग
पंचांग अर्थात पांच कारकों तिथि, योग, करण, वार और नक्षत्र से मिलकर बनता हैं और इसी के आधार पर पंचांग द्वारा गणना की जाती है, इसलिए ही इसे पंचांग कहा जाता है।
बता दें कि पंचांग के अनुसार एक साल में 12 महीने होते हैं और जिसमें हर एक दिन को एक तिथि कहा जाता है। हर दिन की तिथि की अवधि 19 घंटों से लेकर 24 घंटे तक की होती है। पंचांग के अनुसार हर महीने में 30 दिन होते हैं। और इन दिनों की संख्या की गणना सूर्य और चंद्रमा की गति के अनुसार निर्धारित की जाती है। चन्द्रमा की कलाओं के ज्यादा होने या कम होने के अनुसार ही महीने को दो पक्षों में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में बांटा गया है। इन दोनों ही पक्षों में जन्म लेने वाले जातकों के स्वभाव में काफी अंतर होता है।
तो आज हम आपको बताएंगे कि कृष्ण पक्ष में जन्में लोग कैसे होते हैं,
लेकिन उसके पहले जानते हैं कि आखिर ये शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष होता क्या है।
कृष्ण पक्ष
बता दें कि पूर्णिमा और अमावस्या के बीच के भाग को कृष्ण पक्ष कहा जाता है। पूर्णिमा के अगले दिन से ही कृष्ण पक्ष लग जाता है। बता दें कि कृष्ण पक्ष को अशुभ माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस पक्ष में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाने चाहिए। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पूर्णिमा के बाद चंद्रमा घटने लगता है जिसके बाद चंद्रमा की शक्तियां कम होने लगती है और चंद्रमा के आकार में भी कमी आने लगती और रातें अंधेरी होने लगती है इस कारण से इस पक्ष को शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए जो लोग पंचांग में विश्वास करते हैं वो कृष्ण पक्ष में कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं।
शुक्ल पक्ष
वहीं अमावस्या से पूर्णिमा के बीच के अंतर को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। अमावस्या के बाद के 15 दिन शुक्ल पक्ष होता है। क्योंकि अमावस्या के अगले दिन से ही चंद्रमा का आकार बढ़ने लगता है, चंद्रमा का आकार बढ़ने के साथ ही चंद्रमा की कलाएं भी बढ़ने लगती हैं और रात अंधेरी नहीं रहती है। इस दौरान चंद्र बल मजबूत होता है जिस कारण से शुक्ल पक्ष में सभी तरह के शुभ कार्य किए जाते हैं और इस पक्ष को उपयुक्त और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। बता दें कि किसी भी नए काम की शुरूआत शुक्ल पक्ष में ही की जाती है।
बता दें कि हर महीने के पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष के होते हैं और 15 दिन कृष्ण पक्ष के होते हैं।
कैसे होते हैं कृष्ण पक्ष में जन्में लोग
- कृष्णपक्ष में जन्म लेने वाले स्वभाव से निष्ठुर, द्वेषी स्वभाव, क्रूर होते हैं इसी के साथ वो ज्यादा सुंदर शरीर वाले भी नहीं होते हैं। हालांकि वो परिश्रमशील होते हैं।
- रात में जन्म लेने वाले लोग तामसिक स्वभाव वाले होते हैं और काम को छिपाकर कर करते हैं। इसी के साथ ऐसे लोग व्यर्थ में और अधिक बोलने वाले होते हैं।
हिंदी महीनों के अनुसार जन्म लेने वालों का स्वभाव
आषाढ
- इसी के साथ आषाढ़ महीने में जन्म लेने वाले लोग धर्म कर्म में रूचि रखते हैं लेकिन इसी के साथ ऐसे लोग आर्थिक तंगी से सदैव घिरे रहते हैं।
माघ
- माघ मास में जन्म लेने वाले लोग काफी बुद्धिमान होते हैं इसी के साथ उनमें पैसा कमाने की ललक होती है। किंतु वो बहुत ही खरा बोलते हैं।
कार्तिक
- वहीं कार्तिक महीने में जन्म लेने वाले लोग स्वभाव से केवल निष्ठुर होते हैं लेकिन वो धनवान होते हैं।
- प्रतिपदा को जन्मे लोग दुर्जन और कुसंगी होते हैं।
- द्वितीया तिथि को जन्मे लोग स्वभाव से स्वार्थी होते हैं।
- तृतीया को जन्मे लोग स्वभान से ईर्ष्यालु प्रर्वत्ति के होते हैं।