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माणिक्य नहीं पहन सकते तो हाथ में बांधें इस पेड़ की जड़, सूर्य देव की कृपा से चमक सकती है किस्मत

20 Oct 2022

रत्न शास्त्र अनुसार बेल के पेड़ की जड़ का संबंध सूर्य ग्रह से माना जाता है।

आइए जानते हैं इसे धारण करने के लाभ और विधि…


ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए उपायों का वर्णन किया गया है। जिसमें ग्रहों से संबंधित मंत्र और रत्नों का वर्णन किया गया है। आपको बता दें कि मंत्र का जाप करने से ग्रहों की नकारात्मकता को दूर किया जाता है। वहीं रत्नों को हाथ में धारण किया जाता है। लेकिन कुछ रत्न बहुत महंगे होते हैं। जिनकी जगह ज्योतिष में पेड़ों की जड़ का वर्णन किया गया है।यहां हम बात करने जा रहे हैं बेल के पेड़ की जड़ के बारे में, जिसका संबंध सूर्य ग्रह से होता है। मतलब अगर आप माणिक्य रत्न नहीं पहन सकते, तो आप बेल के पेड़ की जड़ को धारण कर सकते हैं। आइए जानते हैं बेल की जड़ का महत्व और धारण करने की विधि…

बेल की जड़ धारण करने के लाभ

रत्न शास्त्र अनुसार बेल की जड़ सूर्य के रत्न माणिक्य के समान शुभ फल प्रदान करती है। बेल की जड़ धारण करने से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है। इस जड़ को धारण करने से ह्रदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार से भी मुक्ति मिल सकती है। वहीं नौकरी पेशा और राजनीति के लोग इस जड़ को धारण कर सकते हैं। उन्हें करियर में अच्छी सफलता मिल सकती है।


ये लोग धारण कर सकते हैं बेल की जड़

वैदिक ज्योतिष के मुताबिक मेष, सिंह और धनु लग्न के जातक बेल की जड़ धारण कर सकते हैं। साथ ही धन स्थान, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश भाव में सूर्य उच्च के विराजमान हैं तो भी बेल की जड़ धारण कर सकते हैं। साथ ही अगर सूर्य देव नवमांश में उच्च के विराजमान हो तो भी बेल की जड़ पहन सकते हैं।


इस विधि से करें धारण

रत्न शास्त्र अनुसार बेल की जड़ को कृतिका नक्षत्र में खरीदकर लाना चाहिए। साथ ही इसे रविवार को सुबह धारण करना चाहिए। आप इसे लाल कपड़े में बांधकर गले या हाथ में धारण कर सकते हैं। सबसे पहले गाय के दूध और गंगाजल से बेल के पेड़ की जड़ को शुद्ध कर लें। उसके बाद मंदिर के सामने बैठकर एक माला सूर्य देव के मंत्र ऊं सूर्याय नम: का जाप करें और फिर धारण कर लें।



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इनसे बदल जाएगी आपकी किस्मत!


सूर्यदेव को सनातन धर्म में आदि पंच देवों में से एक देव माना गया है।

सप्ताह में इनका दिन रविवार माना गया है। ऐसे में इस दिन जगत को प्रकाश देने वाले सूर्य ग्रह की खास पूजा -अर्चना की जाती है।


ज्याेतिष में सूर्य देव को ग्रहों का राजा भी कहा जाता है, इन्हें आपके मान अपमान तरक्की सहित कई चीजों का कारण माना गया है, वहीं मुख्य रूप से ये आत्मा के कारक माने गए हैं।


माना जाता है कि कुंडली में सूर्य के प्रभावों के चलते जातक को कई शुभ व अशुभ परिणाम जीवन में देखने को मिलते है।



पंडित सतीश नागर जी के अनुसार ऐसे में आप रविवार को कुछ खास उपायों को अपनाकर उन्हें प्रसन्न करते हुए, आपने जीवन के कई कष्ट व दुविधाओं को खत्म कर सकते हैं। माना जाता है कि यह उपाय आपके धन, नौकरी ,व्यापार और यश मान जैसी समस्याओं को हल कर देंगे।


ज्योतिष के अनुसार सूर्यदेव की धातु ताबां है और इनका प्रिय रंग लाल है, जबकि इनका रत्न माणिक्य माना गया है। ऐसे में रंग लाल प्रिय होने के चलते इस दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करते हुए लाल पुष्प चढ़ाए जाते हैं।


माना जाता है कि सूर्य देव की पूजा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। नौकरी और व्यापार में आ रही सभी समस्यांए दूर होती हैं। पंडित नागर जी के अनुसार वैसे दुख और परेशानी तो सबके जीवन में आती ही है।


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बहुत सारे व्यक्ति अपनी मुश्किलों को दूर करने के लिए ज्योतिषीय उपाय करते हैं। तो ऐसे में आज हम आपको सूर्यदेव से जुड़े उन उपायों के बारे में भी बताएंगे, जिसके बारे में शायद ही आप जानतें होंगे। लेकिन सूर्यदेव के कुछ उपाय आपको एक के बाद एक लगातार 7 रविवार तक करना होगा। तो आइए जानते हैं-


: इस उपाय को करने के लिए आप रविवार के एक दिन पहले कुछ सामग्रियां घर ले आएं। एक ताम्बे का लौटा, नारियल, पूजा सुपारी, पांच बत्ती वाला दीपक और चांदी का सिक्का शामिल हैं।


रविवार की सुबह उठे तो जमीन पर कदम रखने के पूर्व सूर्यदेव का ध्यान करें। इसके बाद स्नान कर तैयार हो जाएं। अब एक बड़ी सी थाली लें और उसमें ऊपर बताई गई सभी सामग्रियां रख लें।


एक बात याद रहे कि पांच बत्ती वाले दीपक को आपको घी से प्रज्वलित करना हैं। अब जैसे ही सूर्य उदय हो आप इन सभी सामग्रियों को लेकर बाहर या छत पर चले जाएं। आपको इस तरह खड़े रहना हैं कि सूर्य की सभी किरणें आपके ऊपर आ रही हो। इस दौरान ध्यान रहे कि आपने पांव में चप्पल या जूते न पहने हो।


अब सर्वप्रथम आप थाली में चांदी के सिक्के के ऊपर पूजा सुपारी के ऊपर कुमकुम लगा दें। अब नारियल को जल से भरे ताम्बे के लौटे के ऊपर रख दे। इसके बाद हाथ में पांच बत्ती वाला दीपक लें और सूर्यदेव की आरती करें।


आरती होने के बाद अपने स्थान पर चार और सात बार घुमे यानि वहीं खड़े रहकर परिक्रमा करें।


इसके बाद लौटे पर रखा नारियल सूर्यदेव के सामने ही फोड़ दे। अब उसी लोटे में रखे पानी को सूर्यदेव को अर्पित करें। इस दौरान अपने जीवन की समस्यां भी सूर्यदेव के सामने रखें।


इसके बाद फोड़ा गया नारियल अपने घर परिवार में बांट कर, फिर खुद भी खा लें।


वहीं चांदी का सिक्का और पूजा की सुपारी तिजोरी या पूजा घर में रख दें। अब अगले 6 और रविवार तक यही प्रक्रिया दोहराएं। इस दौरान सुपारी और सिक्का आप वहीं इस्तेमाल कर सकते हैं।


सूर्य देव को जल चढ़ाने का महत्व...

रविवार के पूजा बिना सूर्यदेव को जल चढ़ाए पूरी नहीं होती। अगर आप ऐसा रविवार के अलावा प्रतिदिन करते हैं, तो माना जाता है कि भगवान की कृपा आपके ऊपर बरसती रहेगी। सूर्यदेव को जल अर्पित करने से सभी परेशानियां तो दूर होती ही हैं।


इसके साथ ही आर्थिक वृद्धि होनी शुरू हो जाती है। अगर किसी भक्त से सूर्यदेव प्रसन्न हो जाते हैं तो उसके घर की तिजौरी कभी खाली नहीं रहती। उसके मान सम्मान में लगातार वृद्धि होती रहती है,दुश्मन भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते।


रविवार के अन्य उपाय...

1. सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी, सरोवर या तालाब में स्नान करें।


2. एक तांबें के लोटे में जल भरकर उसमें कुमकुम, गुड़ डाल कर उन्हें अर्पित करें।


3.एक बड़े पीपल के पत्ते पर अपनी मनोकामना लिखकर जल में प्रवाहित कर दें।


4.सूर्य को जल देते हुए मां लक्ष्मी को आने का निमंत्रण दें।


5. गाय का शुद्ध देसी घी लेकर उसका दीपक जलाएं।


6.रविवार के दिन एक दुध का गिलास भरकर अपने सिरहाने रखें उसके बाद दूसरे दिन उस दुध को बबूल की जड़ में डाल दें।


7.रविवार के दिन किसी काले कुत्ते को गुड़ की रोटी खिलाएं।


8.रविवार के दिन सूर्यदेव के नामों का पाठ करें। इससे आपके यश में वृद्धि होगी।


9.मछलियों को आटें की गोली बनाकर खिलांए।


10.व्रत में एक समय ही भोजन करें और नमक का प्रयोग न करें।

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