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बुरे दौर में भारत-कनाडा रिश्ते !

22 Sept 2023

कनाडा में लगातार मजबूत होता खालिस्तान आंदोलन चिंता का विषय

हाल ही में कनाडा और भारत के बीच तनाव बढ़ गया है। दरअसल, हरदीप सिंह निज्जर(खालिस्तान समर्थक) की हत्या का आरोप भारतीय एजेंसियों पर लगाने के बाद से ही दोनों देशों (भारत और कनाडा) के बीच लगातार तनाव बढ़ता ही चला जा रहा है। जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय एजेंसियों के हाथ होने की आशंका जताई है, जो भारत पर बहुत ही गंभीर आरोप है। हालांकि भारत ने कनाडा के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। सभी यह जानते हैं कि कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियां चलती रही हैं। यह भी एक तथ्य है कि सिख कनाडा के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में बेहद महत्व रखते हैं। कनाडा में खालिस्तान आंदोलन लगातार मजबूत हो रहा है और ट्रुडो सरकार उस पर लगाम लगाने की कोशिश करती भी नहीं दिख रही। इससे यह साफ जाहिर होता है कि खालिस्तान आंदोलन को ट्रुडो सरकार पूरा समर्थन प्राप्त है, लेकिन कनाडा के राष्ट्रपति सिख कार्ड खेलने से नहीं चूक रहे हैं। हाल फिलहाल भारत पर आरोप के बाद से ही दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्ते अपने सबसे बुरे दौर में पहुँचते दिख रहे हैं।दोनों देशों ने पहले एक-दूसरे के शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित किया और अब भी आरोप-प्रत्यारोप लगातार जारी हैं।इन सबके बीच भारत ने कनाडा में रहने वाले नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह भी दी है। बहरहाल यहां पाठकों को यह जानकारी भी देना चाहूंगा कि नई दिल्ली ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया है और यह कदम कनाडा के नागरिकों के लिए निश्चित ही कहीं न कहीं परेशानी सबब बनेगा। कनाडा वह देश है जहां बड़ी तादाद में भारतीय बसते हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि वर्ष 2021 की जनसंख्या के अनुसार कनाडा में लगभग साढ़े 18 लाख भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं। वास्तव में,कनाडा और भारत के बीच संबंधों के जड़ में दोनों देशों के बीच व्यापार और कनाडा में रहने वाले भारतीय प्रवासी सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं। यह भी एक तथ्य है कि कनाडा में लगभग जो साढ़े 18 लाख भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं, वे कनाडा की जनसंख्या का लगभग पांच प्रतिशत हिस्सा है। इस जनसंख्या में भी ज्यादातर सिख समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। जानकारी मिलती है कि सिख कनाडा की कुल आबादी का 2.1 फीसदी हिस्सा हैं। इस बात की पूरी पूरी संभावना दिखती है कि कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन टुडो ने सिख वोटरों को रिझाने के लिए सिख कार्ड खेला है, लेकिन इसे कदापि ठीक नहीं ठहराया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि जस्टिन ट्रूडो ने 2015 में अपनी पहली सरकार बनाई थी तो तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा उप मंत्री जोडी थॉमस को खालिस्तानी आंदोलन को हवा देने का काम सौंपा। यह भी तथ्य बहुत महत्वपूर्ण है कि ट्रुडो की पहली सरकार में चार सिख मंत्री शामिल थे। उस समय उन्होंने यह बात कही थी कि उनकी कैबिनेट में जितने सिख शामिल हैं, उनने भारत की कैबिनेट में भी नहीं हैं। आखिर उनका यह बयान क्या दर्शाता है ? कनाडा की जमीन से खालिस्तान आंदोलन चलता है तो यह किसी भी हाल व परिस्थितियों में जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है। अपने लालच और स्वार्थ को पूरा करने के लिए भारत पर यूं ही आरोप लगाये जाने ठीक नहीं है। वास्तव में कनाडा को करना तो यह चाहिए था कि कनाडा खालिस्तान समर्थकों की पहचान कर के उन्हें भारत को सौंपता, लेकिन वहां की सरकार खालिस्तानियों की सरपरस्ती करती दिख रही है। कोई भी देश, देश को तोड़ने वाली ताकतों को कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकता है।बहुत पहले से कनाडा के बारे में यह बात कही जाती रही है कि कनाडा खालिस्तान समर्थकों का गढ़ बना हुआ है और वहीं से खालिस्तान आंदोलन चलाया जाता है। जानकारी देना चाहूंगा कि भारत में 1980 के दशक में खालिस्तान की मांग चरम पर थी। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों में सिख समुदाय का एक हिस्सा अभी भी इसकी मांग उठाता रहता है। भारत देश को तोड़ने वाली ताकतों को कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकता है और भारत इन देशों से देश को तोड़ने वाली ताकतों पर लगातार कार्रवाई करने को कहता रहा है, जिसकी कनाडा ने हमेशा ही अनदेखी की है। जानकारी देना चाहूंगा कि जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जब जस्टिन टूडो भारत आए थे, उस समय भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके साथ खालिस्तान का मुद्दा उठाया था। हाल फिलहाल, कनाडा के राष्ट्रपति के बयान से भारत और कनाडा के द्विपक्षीय रिश्तों को निश्नुचित है नुकसान पहुंचा है और उसकी भरपाई होने में समय लगेगा। बहरहाल, कनाडा के आरोपों पर अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और इन देशों का कहना है कि वो इन आरोपों को लेकर बेहद चिंतित हैं।


सुनील कुमार महला


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