
19 Aug 2023
वर्ष में एक बार नागपंचमी पर होते हैं दर्शन, 8 से 10 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान
उज्जैन। 12 ज्योतिर्लिंगों में विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित अद्भुत भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर स्थापित है। जिसे वर्ष में एक बार नाग पंचमी के दिन खोला जाता है। कल 20 अगस्त की रात 12 बजे त्रिकाल पूजा के साथ 24 घंटे के लिए मंदिर के पट खोले जाएंगे। नागपंचमी के साथ ही 21 अगस्त सोमवार को महाकाल की सातवीं सवारी निकल जाएगी। जिसके चलते 8 से 10 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान प्रशासन में लगाते हुए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
धार्मिक नगरी उज्जैन अति प्राचीन देव स्थलों से भरी हुई है यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल का मंदिर देश दुनिया के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है लेकिन अन्य धार्मिक स्थलों की आस्था भी श्रद्धालुओं के लिए अपरंपार है इसी धार्मिक स्थल में महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष पर बना भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर भी आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। नागचंद्रेश्वर मंदिर को वर्ष में एक बार नाग पंचमी के दिन खोला जाता है। इस बार 20 अगस्त रात 12 बजे मंदिर के पट 24 घंटे के लिए खोले जाएंगे। पट खोलना से पहले महा निर्वाणी अखाड़े के महंत द्वारा त्रिकाल पूजा की जाएगी। 12:30 बजे तक पूजा अर्चना का सिलसिला जारी रहेगा जिसके बाद आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन प्रवेश खोल दिया जाएगा। 21 अगस्त की रात 12:बजे तक अनवरत दर्शन का सिलसिला जारी रहेगा इस बीच दोपहर 12 बजे भगवान नागचंद्रेश्वर की शासकीय पूजा प्रशासन की ओर से की जाए। नाग पंचमी पर श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था को लेकर महाकाल प्रबंध समिति और प्रशासन द्वारा अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिए जाने का काम किया जा रहा है। नागचंद्रेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को महाकाल मंदिर परिसर में बनाई गई सीढ़ियों से होकर पहुंचना होगा। भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भील धर्मशाला से गंगा गार्डन होते हुए हरसिद्धि चौराहा, बड़ा गणेश के सामने से मंदिर के चार व पांच नंबर गेट से विश्रामधाम पुल से प्रवेश मिलेगा। श्रद्धालु भगवान नाग चंदेश्वर महादेव के दर्शन मंदिर के बाहर से ही कर पाएंगे उन्हें ज्यादा देर रुकने की अनुमति नहीं होगी। प्रशासन ऐसी व्यवस्था में लगा हुआ है कि 24 घंटे में सभी श्रद्धालुओं को दर्शन लाभ मिल सके।
पूरी दुनिया में नहीं है ऐसी नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा
महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव की प्रतिमा काफी अद्भुत है जो 11वीं शताब्दी की होकर पूरी दुनिया में कहीं भी नहीं है। उक्त प्रतिमा को नेपाल से उज्जैन लाया गया था। अद्भुत प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव पार्वती, गणेश जी के साथ दशमुखी सर्प में विराजित हैं। भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन मात्र से कालसर्प योग का हमेशा के लिए निवारण हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।
नाग पंचमी के साथ सातवीं सवारी का संयोग
21 अगस्त को नाग पंचमी के साथ बाबा महाकाल की सावन भादो मास में निकलने वाली सातवीं सवारी का सयोग भी है। जिसके चलते प्रशासन के लिए क्राउड मैनेजमेंट दोहरी चुनौती होगा। पहले ही 10 लाख के लगभग श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा चुका है। जहां भगवान नाथ चंदेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा वहीं बाबा महाकाल के दर्शन करने भी लाखों श्रद्धालु पहुंचेंगे। बाबा महाकाल के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा अलग से व्यवस्था की गई है। बाबा महाकाल के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को चारधाम मंदिर के सामने त्रिवेणी संग्रहालय से महाकाल महालोक होते हुए मानसरोवर फैसिलिटी सेंटर से परिसर में होते हुए गणेश व कार्तिकेय मंडप में प्रवेश दिया जाएगा। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा अतिरिक्त पुलिस कर्मियों की तैनाती भी अलग-अलग शिफ्ट में की जाएगी।