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गरीबों को हटाकर महाकाल के निजी सुरक्षा कर्मियों ने लगा ली दुकानें

1 Oct 2023

पत्रकार वार्ता में विस्थापित दुकानदारों ने महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति पर लगाए गंभीर आरोप

उज्जैन। आज से लगभग 9 माह पहले महाकालेश्वर मंदिर के गेट क्रमांक 4 के बाहर महाकाल हरसिध्दि मार्ग पर फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले लगभग 50 दुकानदारों को महाकाल मंदिर समिति और नगर निगम में हटा दिया था। महाकाल मंदिर के निजी सुरक्षा कर्मियों ने गरीबों का सामान भी जप्त कर लिया था। निजी सुरक्षा कर्मी अब उन स्थानों पर दुकान लगा रहे हैं।


यह चौंकाने वाले आरोप शनिवार की शाम प्रेस क्लब पर आयोजित पत्रकार वार्ता में महाकालेश्वर मंदिर के गेट नंबर 4 के बाहर महाकालेश्वर हरसिद्धि मार्ग पर फूल प्रसाद की दुकान लगाने वाले गरीब व्यवसायियों ने महाकाल मंदिर समिति तथा महाकाल मंदिर सुरक्षा में तैनात निजी सुरक्षा गार्ड कंपनी के सुपरवाइजर और कर्मचारियों पर लगाये। विस्थापित किए गए व्यवसाययों में मुकेश कहार, दुर्गेश चौहान, बबीता सोलंकी, राजकुमार परमार और बसंती कहार ने बताया कि लगभग 9 माह पहले जिला प्रशासन का हवाला देकर महाकालेश्वर मंदिर समिति तथा नगर निगम के अधिकारियों ने महाकाल मंदिर के गेट नंबर 4 के ठीक सामने लगने वाली फुलप्रसाद की 50 से अधिक दुकानों को कुछ समय के लिए हटाने का कहा था। उस दौरान महाकाल मंदिर में तैनात निजी सुरक्षा एजेंसी के सुपरवाइजर चौहान ने हम सभी दुकानदारों का समान और अन्य जरूरी दस्तावेज भी जप्त कर लिए थे और बाद में देने का कहा था। लेकिन 9 महीने बीत जाने के बावजूद मंदिर समिति तथा नगर निगम ने उन्हें वहां फिर से दुकान के लिए जगह नहीं दी है। इतना ही नहीं सुपरवाइजर चौहान जप्त किया गया सामान भी नहीं लौट रहा है। इसकी शिकायत विस्थापित व्यवसायी कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर, संभाग आयुक्त, सांसद, विधायक और मंत्री से भी कर चुके हैं। इसके बावजूद वे नौ माह से दुकान की जगह के लिए संघर्ष कर रहे हैं और इस दौरान उनका कामकाज पूरी तरह से बंद है और परिवार के आगे आर्थिक तंगी और संकट झेल रहे हैं। उनकी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।


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मंदिर के कर्मचारी लग रहे दुकानें


उक्त विस्थापित लोगों ने आरोप लगाया कि उनकी दुकान हटाने के बाद जप्त किए गए सामान के जरिए महाकाल मंदिर में तैनात निजी सुरक्षा कर्मी और सुपरवाइजर खुद फूल प्रसाद की दुकान लगा रहे हैं। साथ ही रुपए लेकर उनकी जगह अन्य लोगों को किराए पर दुकानें दे रहे हैं। इसके वीडियो भी विस्थापित दुकानदारों ने मीडिया कर्मियों को बताए।


आंदोलन या फिर आत्महत्या


9 माह से बेरोजगार रहने को मजबूर इन व्यवसाययों ने बताया कि कामकाज नहीं होने के कारण इनका गुजारा मुश्किल हो गया है। ऐसे में अब उन्हें अपने हक के लिए या तो सड़क पर उतरकर आंदोलन करना पड़ेगा। या फिर आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसकी जवाबदारी महाकाल मंदिर समिति, पुलिस और प्रशासन की होगी।


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