14 Mar 2024
वरिष्ठ अधिकारियों ने माना अमले की कमी, उप वनमंडल अधिकारी नोटिस देकर जवाब लेने भी नहीं आते
उज्जैन। उज्जैन जिले में वन क्षेत्र का 6061 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। हालांकि यह जिले के कुल क्षेत्रफल का जीरो दशमलव 69 प्रतिशत ही है। इसकी देखभाल के लिए जिला वन मंडल कार्यालय में डीएफओ सहित कल 43 अधिकारियों कर्मचारियों का स्टाफ है। ऐसे में जिले के वन क्षेत्र के 140 वर्ग किलोमीटर के दायरे की जवाबदारी एक वनकर्मी पर है। अमले की कमी के कारण हालत यह है कि वन विभाग के उपवन मंडल अधिकारी के पास जारी किए गए नोटिस की तामील करने तक का समय नहीं है।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले में अन्य जिलों के मुकाबले वन क्षेत्र का दायरा जिले के कुल क्षेत्रफल के एक प्रतिशत से भी कम है। वहीं शहर सहित जिले की सीमा में कुल 120 आरा मशीनें है। तय समय हर महीने की 1 तारीख से 5 तारीख के बीच इनकी जांच का जिम्मा वन विभाग का है। महीने में एक बार इनकी जांच का शेड्यूल भी बना हुआ है लेकिन आरा मशीनों जांच तक समय पर नहीं हो पाती। जिला वन मंडल अधिकारी डॉक्टर किरण बिसेन का कहना है कि कई बार वे जवाबदार अधिकारियों कर्मचारियों को समय पर आरा मशीन की जांच के निर्देश दे चुकी है। उनका यह भी कहना है कि विभाग में जिला वन मंडल अधिकारी समेत कुल 43 लोगों का स्टाफ है। उज्जैन जिला वन मंडल में रेंजर के तीन पद स्वीकृत है। परंतु यहां अभी इनमें से एक की भी नियुक्ति नहीं है। इसी तरह वन विभाग में एसडीओ के तीन पद हैं। इनमें से दो पदों पर नियुक्ति नहीं होने से यह रिक्त हैं। उक्त महत्वपूर्ण पदों पर वन विभाग में नियुक्ति नहीं होने से विभाग से संबंधित कोर्ट के मामले से लेकर नई योजनाओं के क्रियान्वयन तक में अक्सर परेशानी आती है। जबकि उज्जैन जिले में वन क्षेत्र का दायरा 6061 वर्ग किलोमीटर है। उन्होंने यह भी बताया कि विभाग का सालाना बजट भी कम है। शासन से विभाग को हर वर्ष लगभग 58 लाख का बजट ही मिलता है।
केवल गिद्धों की गणना हुई, अन्य पक्षियों की नहीं कराई
इसके अलावा विभाग के सूत्रों का कहना है कि स्टाफ की कमी के कारण जिले की वन सीमा में कितने वन्य प्राणी है। इसका लेखा-जोखा भी अपडेट नहीं हो पाता। हाल ही में इंदौर वन मंडल द्वारा अपने यहां वन क्षेत्र में पाए जाने वाले पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां की गणना कराई गई। परंतु उज्जैन वन विभाग में अमले की कमी के कारण केवल गिद्धों की गणना ही हो पाई। वह भी जिले में एक भी नहीं पाया गया। गिद्ध के अलावा जिले में कितने अन्य पक्षी हैं। इसकी कोई जानकारी वन विभाग के पास नहीं है। क्योंकि इसकी गणना ही नहीं कराई जाती। हालांकि इस पर अधिकारी यह तर्क देते हैं कि इंदौर वन मंडल द्वारा एनजीओ के माध्यम से पक्षियों की प्रजाति की गणना कराई जाती है। बजट कम होने के कारण उज्जैन वन विभाग यह नहीं कर सकता।
जवाब लेने तक का समय नहीं अधिकारियों के पास
उज्जैन वन मंडल की कार्यप्रणाली को लेकर कई बार जागरूक लोग सवाल खड़े करते हैं और मीडिया भी अपने जवाबदारी निभाता है। इस पर वन विभाग द्वारा सवाल उठाने वालों को नोटिस जारी कर कार्यालय में बुलाया जाता है। परंतु उसे दौरान जवाब तलब करने के लिए नोटिस जारी करने वाले उपवन मंडल अधिकारी ही मौजूद नहीं रहते। उन्हें जवाब के लिए अगली तारीख पर बुलाया जाता है। इस तरह से जागरूक लोगों को परेशान किया जा रहा है।