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उज्जैन में स्थापित वैदिक घड़ी का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया वर्चुअली लोकार्पण

1 Mar 2024

वेदों के अनुरूप बताएगी समय और मुहूर्त, निर्माण में डिजिटल तकनीक का हुआ है इस्तेमाल

उज्जैन। जीवाजीराव वेधशाला परिसर में देश की पहली वेदों के अनुरुप समय और मुहूर्त बताने वाली वैदिक घड़ी 85 फीट ऊँचे टॉवर पर स्थापित की गई है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसका वर्चुअली लोकार्पण कर इसे देश को समर्पित किया गया।


इतिहासकारों के अनुसार सन् 1906 से पहले इसी पद्धति से पूरे देश में समय की गणना की जाती थी। शहर की जीवाजीराव वेधशाला में देश की पहली वैदिक घड़ी स्थापित हो चुकी है। यह वैदिक घड़ी प्राचीन पद्धति से समय और मुहूर्त एक साथ बताएगी। साथ ही यह भविष्यवाणी और ग्रहों की स्थिति के बारे में भी जानकारी देगी। विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि गुरुवार को दोपहर 3.30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिल्ली से भोपाल में आयोजित समारोह में वैदिक घड़ी का वर्चुअली लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और राज्यपाल मंगू भाई पटेल भोपाल से ऑनलाइन जुड़े थे।


वेधशाला परिसर में बने शुभारंभ मंच पर लगी एलईडी स्क्रीन से इसके सीधे प्रसारण को देखा गया और सुना गया।भारत में 1906 से पहले समय की गणना के लिए इसी वैदिक पद्धति का इस्तेमाल किया जाता था।


डिजिटल तकनीक , लखनऊ में निर्माण


जीवाजीराव वेधशाला परिसर में 85 फीट ऊंचे टॉवर पर इस वैदिक घड़ी को लगाया गया है। श्रीराम तिवारी ने बताया कि यह घड़ी ग्रीनविच मीन टाइम के साथ-साथ पारंपरिक भारतीय मुहूर्त प्रदर्शित करेगी, जो इसे अपनी तरह की दुनिया की पहली घड़ी बनाती है। घड़ी को नगर निगम द्वारा टॉवर पर पहले ही स्थापित किया जा चुका था। गुरुवार दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका वर्चुअल लोकार्पण किया। इस घड़ी को लखनऊ स्थित आरोहण संस्था ने तैयार किया है। इसे इंटरनेट से जोड़ा गया है। साथ ही यह एप से कनेक्ट है। इसकी वजह से कई आधुनिक और एडवांस फीचर भी इसमें हैं। डिजिटल तकनीक के कारण अहम कई नई जानकारियां भी वैदिक घड़ी से लोगों को मिलेगी।


24 घंटे में 30 मुहूर्त बताएगी


उन्होंने बताया कि कर्क रेखा पर स्थित उज्जैन को लंबे समय से समय गणना के केंद्र के रूप में मान्यता दी जाती रही है। भारतीय मानक समय के लिए 82.5 पूर्वी देशांतर को अपनाने से पहले, उज्जैन (75.78पूर्वी देशांतर) को भारत के लिए समय मध्याह्न रेखा माना जाता था। तिवारी के अनुसार, उज्जैन वह स्थान भी है जहां विक्रमी पंचांग और विक्रम संवत कैलेंडर जारी किए जाते हैं, जो इस वैदिक घड़ी के लिए एकदम सही स्थान बनाता है। यह 24 घंटे के ग्रीनविच समय को 30 मुहूर्त में विभाजित कर प्रदर्शित करेगी। वैदिक घड़ी भारतीय समय गणना की सबसे पुरानी, सबसे शुद्ध, सबसे सटीक और त्रुटि मुक्त प्रणाली है।


वैदिक घड़ी में तिथि मुहूर्त और पंचांग भी


प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पित हुई वैदिक घड़ी में समय के अलावा, वैदिक हिंदू पंचांग, तिथि, ग्रहों की स्थिति, ज्योतिषीय गणना और भविष्यवाणियों के बारे में भी जानकारी प्रदान करेगी। यह एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक के समय की गणना करेगा, इस अवधि को 30 भागों में विभाजित करेगा, जिसमें प्रत्येक वैदिक घंटा 48 मिनट तक चलेगा। घड़ी से जुड़ा मोबाइल ऐप इन स्थानों पर सूर्योदय और सूर्यास्त के लाइव दृश्यों सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों और मंदिरों के लिए मौसम अपडेट भी प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि यह घड़ी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसके लिए उन्होंने अपनी विधायक निधि से 1.68 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। साथ ही टॉवर की आधारशिला 6 नवंबर 2022 को रखी थी। उन्होंने कहा कि आज का दिन हम सभी उज्जैनवासियों के लिए गर्व का दिन है।


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