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इंदौर की झांकी बदलते इन्दौर की स्थाई परंपरा अनन्त चतुर्दशी चल समरोह

28 Sept 2023

झाकियों से झिलमिल हुआ इन्दौर शहर की पहचान का दिखा नजारा

इंदौर(शैलेन्द्र कश्यप)| इंदौर में अनंत चतुर्दशी के दिन 100 साल पुरानी परम्परा अनुसार शाम झांकियां निकली. इस दौरान प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं| सभी जगह सीसीटीवी के साथ-साथ वॉच टावर से नजर रखी जाएगी| शहर में 28 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी के मौके पर परम्परागत झिलमिलाती व नयनाभिराम झांकियों का कारवां निकला। इसके साथ ही अखाड़े में भी झाकी कै पीछे करतब दिखाते हुए चल रहे थे श्री खजराना गणेश मंदिर की झांकी निकलेगी। कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने शाम 6 बजे इस झांकी का पूजन किया। फिर चिकमंगूलर चौराहा से कारवां शुरू हुआ यह कारवां पश्चिम क्षेत्र के बाजारों में घूमकर अलसुबह तक चलेगा। इस दौरान शहर के लोग रतजगा कर इसे निहारेंगे। चल समारोह के लिए सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं।



इस साल भी खजराना गणेश मंदिर, आईडीए, नगर निगम, होप टेक्सटाइल ( भण्डारी मिल), कल्याण मिल, मालवा मिल, हुकुमचंद मिल, स्वदेशी मिल, राजकुमार मिल, स्पूतनिक ट्यूटोरियल एकेडमी, जय हरसिद्धी मां सेवा समिति, श्री शास्त्री कार्नर नवयुवक मंडल की झांकियां इंदौर शहर को रोशन करते हुए निकलेंगी। सभी झांकियां अपने अखाड़ों के साथ चल समारोह में शामिल होंगी।



हर बार की तरह इस बार भी अनंत चतुर्दशी पर रिमझिम बारिश के बीच में लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था बड़ी संख्या में लोग झांकी देखने पहुंचे वहीं कुछ लोग अपने परिवार के साथ इस पल को कैद करने के लिए सेल्फी लेते नजर आए|



इस बार झांकी देखने के लिए आसपास के जिलों से भी कई लोग पहुंचे जहां सुबह से ही लोग अपने परिवार के साथ फुटपाथ पर दरी बिछा कर अपनी जगह निश्चित कर बैठे नजर आए वही विदेशी नागरिक भी झांकी देखने पहुंचे|


कल्याण मिल


प्रथम झांकी श्रीकृष्णजी की रासलीला पर आधारित है।जिसमें भगवान कृष्ण को बंशी बजाते हुए दर्शाया गया है और राधा संग गोपियों को बांसुरी की मधुर धुन पर मोहित होकर नाचते हुए दिखा गया है।


झांकी की विशेषता : मिल की दोनों झांकियों में लकड़ी एवं प्लाई का उपयोग किया गया है, कहीं पर भी धर्माकोल या प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया गया है, जो प्रतिबंधित है|


द्वितीय झांकी रामायण प्रसंग पर आधारित है


जिसमें रामायण से लिये गये प्रसंग से जब माता सीता अपने श्रृंगार में सिंदूर अपनी मांग में लगाती है तब हनुमानजी सीता माता से फुलते है यह सिंदूर आप अपनी मांग में क्यों लगा रही हो जिस पर माता कहती है कि इससे प्रभु प्रसन्न होते है इतना सुनते ही हनुमानजी झूम उठते है और अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर श्रीरामजी के सामने जब जाते है तब श्रीरामजी उन्हें अपने गले लगाते हुए दर्शाया गया है।इस झांकी में हनुमानजी को 18 फीट ऊंचाई तक जाते हुए दिखाया गया है|


वर्ष 94वाँ


स्वदेशी मिल की दो धार्मिक झांकियां आपके समक्ष प्रस्तुत हैं पहली झांकी में सीता हरण तीन भागों में दिखाया गया|


प्रथम भाग


सीताजी को स्वर्ण हिरण दिखने पर रामजी को बोलती है इसे पकड़कर ले आओ । अपनी कुटिया की सेवा बढ़ायेगा। भगवान राम हिरण पकड़ने के लिए जाते हुए दिखाया गया। तभी भगवान राम लक्ष्मण लक्ष्मण चिल्लाते हुए बोलते हैं। और तभी सीता जी को उनके कानों में आवाज सुनाई देती हैं और सीता जी आदेश देते हैं की जो तुम्हारे भैया पर कोई संकट आ गया है। लक्ष्मण मन मारकर जाते हैं। और माता सीता जी को कहते हैं कि मैं जो देखा खींच कर जा रहा हूं माताजी इस रेखा के बाहर नहीं जाना और भगवान राम ढूंढने लक्ष्मण जी चले जाते हैं।


द्वितीय भाग


रथ के पीछे एक कुटिया दिखाई गई है। जहां पर माता सीता कटिया के बाहर देख रही हैं पर साधु के वेश में रावण को सीताजी से भीख मागते हुए दिखाया गया है।


तृतीय भाग


रावण द्वारा सीताजी का हरण रावण द्वारा घोड़े पर सवार रथ पर दिखाया गया है। रथ दोनों दिशा पर घूमते हुए दर्शाया गया है। घोड़े हवा में उड़ रहे हैं। और रावण रथ में विराजमान है। सीताजी जोर से चिल्लाती है कि मुझे राक्षस से बचाओ। यह आवाज जटायु के कानों तक पहुंचती है। जटायू के द्वारा रावण को रोकने का प्रयास करते हुए दिखाया गया है।


शिव पार्वती का विवाह तीन भागों में दिखाया गया


प्रथम भाग


सबसे आगे गणपति जी विराजमान है। उसके पीछे एक भव्य भोले बाबा की मूर्ति है उनके आसपास भूत-प्रेत बाराती के रूप में उपस्थित हैं। भोलेनाथ के सामने नारदजी पार्वती के मां को उंगली से दिखाते हुए बताते हुए बता रहे हैं की यही पार्वती के पति है। उनकी मां जब भगवान भोलेनाथ का विकराल रूप देखती हैं तो वहीं घात खाकर दासी और मां मुर्मित हो जाती है।


द्वितीय भाग


मैना कोप भवन में चली जाती हैं। उन्हीं के पीछे भगवान विष्णुजी और ब्रह्माजी पीछे जाते हैं और वहां पर मैनाजी को समझाते हुए दिखाया गया है।


तृतीय भाग


विष्णुजी ब्रह्माजी और मैनाजी के समझाने पर विवाह के लिए राजी हुई। अब भगवान भोलेनाथ विवाह के लिए राजी हुए। तब भगवान भोलेनाथ अपने वरूप में और वहां पर पार्वती और शिव के फेरे लेते हुए दिखाया गया।


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