
16 Sept 2023
पूजा विधि एवं पारण का मुहूर्त
हरतालिका तीज का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हरियाली तथा हरतालिका यह दोनों तीज में लगभग एक महीने के अंतराल में आती है। हरियाली तीज की तरह ही हरतालिका तीज भी माता पार्वती को समर्पित पर्व हैं। हरतालिका तीज सुहागिन महिलाओं का खास पर्व है।
प्रतिवर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज मनाई जाती है। इस वर्ष हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज सोमवार, 18 सितंबर 2023 को मनाई जा रही है। हरतालिका तीज पर पूरे दिन निर्जला यानी बिना पानी ग्रहण किए व्रत रखकर माता पार्वती का पूजन किया जाता है।
हरतालिका तीज व्रत 18 सितंबर 2023, सोमवार को किया जा रहा है, वहीं इसका पारण 19 सितंबर 2023 दिन मंगलवार को किया जाएगा। 19 सितंबर को सूर्योदय से पूर्व स्नान के पश्चात शिव-पार्वती जी का पूजन और विसर्जन करने के बाद जल ग्रहण करके व्रत खोलना उचित रहेगा।
पूजा विधि :
1. हरतालिका तीज का पूजन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में किया जाता है।
2. इस दिन शिव, पार्वती और गणेशजी की बालू की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करते हैं।
3. पूजा स्थल को फल, फूल और पत्तियों से सजाकर सभी को चौकी पर केले के पत्ते पर विराजमान करते हैं।
4. इसके बाद सभी देवताओं के आह्वान के साथ ही चौकी के समक्ष धूप, दीप प्रज्वलित करें।
5. इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
6. षोडशोपचार पूजन में 16 प्रकार की पत्तियां और 16 प्रकार की पूजन सामग्री होती है।
7. पूजन सामग्री से सुहाग की पिटारी से 16 श्रृंगार की वस्तुएं निकालकर माता को अर्पित करें।
8. शिव जी को धोती और अंगोछा अर्पित करें और गणेश जी को लड्डू, दूर्वा एवं जनेऊ चढ़ाएं।
9. इस प्रकार पूजन के बाद आरती उतारें और मंत्र जाप करें।
10. अंत में हरतालिका तीज की कथा सुनें या पढ़ें।
11. रात्रि जागरण करते हुए भजन-कीर्तन में समय व्यतीत करें।
12. अगले दिन सुबह आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
जानें हरतालिका तीज के जरूरी बातें
जब सुहागन महिलाएं एक बार तीज का व्रत शुरू कर देती हैं, तो इसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. यह व्रत उन्हें जीवनकाल तक अपनाना चाहिए. अगर किसी कारणवश ये व्रत न कर पाएं, तो इसका उद्यापन कर परिवार की दूसरी महिला को ये व्रत सौंप सकते हैं.शास्त्रों के अनुसार हरतालिका तीज व्रत में व्रत रहने वाली महिलाओं का दोपहर या रात्रि में सोना वर्जित है. इस व्रत में रात्रि के चारों प्रहर में शिव-पार्वती की पूजा करने से व्रत का शीघ्र फल मिलता है.इस दिन सुहागिनों को श्रृंगार कर शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि इससे शंकर जी जल्द प्रसन्न होकर समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार का है विशेष महत्व
हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। हरियाली तीज की तरह ही हरतालिका तीज पर भी सोलह श्रृंगार करने का विशेष महत्व है। इस दिन माता पार्वती की पूजा में सोलह श्रृंगार अर्पित किए जाते हैं। साथ ही सुहागिन महिलाओं द्वारा भी सोलह श्रृंगार किया जाता है।
पंडित सतीश नागर उज्जैन
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