
8 Sept 2023
सहजयोग शाश्वत सत्य से साक्षात का योग है
भारतवर्ष को हम सभी, देव - भूमि, योग- भूमि, अध्यात्म की भूमि, व सनातन संस्कृति के जनक के रूप में जानते हैं। समस्त भारतीय इस विषय पर गर्व भी करते हैं परंतु इसे कितना आत्मसात करते हैं यह विचारणीय विषय है। अनेकानेक आपदाओं आक्रमणों अत्याचारों के बावजूद भारतीय संस्कृति अक्षुण्ण रही है इसका कारण है इसका शाश्वत होना सत्य होना क्योंकि सत्य को कभी भी नष्ट नहीं किया जा सकता। ऋषियों, मनीषियों, वेदज्ञों व महान गुरुओं ने जो ज्ञान अनंत से प्राप्त किया वह इसलिए क्योंकि वे अपने हृदय को विशाल बना सके उन्होंने स्वयं को संकुचित नहीं किया बल्कि खोल दिया ब्रह्मांड के लिए और परम शक्ति से एकाकारिता ने ही उन्हें सत्य का साक्षात् कराया।
सहजयोग भी शाश्वत सत्य से साक्षात् का ही योग है जिसे स्वयं आदिशक्ति के अवतरण श्री माताजी निर्मला देवी जी ने स्थापित किया। सहजयोग परमात्मा द्वारा लगाए गए फूलों का वो गुलदस्ता है जिन्हें श्री माताजी ने संपूर्ण विश्व से चुना है। सहजयोग ध्यान की वो सनातन पद्धति है जिसे आधुनिक वैज्ञानिकों व चिकित्सकों ने भी स्वीकार किया है। मनुष्य की जिन शारीरिक व मानसिक जटिलताओं को आधुनिक विज्ञान समझ नहीं सका उन्हें सहजयोग द्वारा समझाया गया है। विभिन्न शारीरिक रोगों में, मानसिक तनाव को दूर करने में, कृषि का उत्पादन बढ़ाने में, वातावरण की नकारात्मकता को दूर करने में सहजयोग ने अवर्णनीय प्रभाव दिखाया है।
परंतु इसका वास्तविक उद्देश्य कहीं व्यापक है यह आत्मा के परमात्मा से योग का साधन है इसके पश्चात समस्त बाधाएं स्वयं ही समाप्त हो जाती हैं। यह जीवंत अनुभव है जिसे पढ़कर नहीं समझा जा सकता सहजयोग विवेक व बोध के द्वारा क्रिया एवं विचारों से बाहर निकाल कर ध्यान का मार्ग प्रशस्त करता है। और हमें उस ज्ञान व विद्या का साक्षात्कार प्रदान करता है जो हमारे साथ जन्मी है, जो सहज है। अतः अपने आप को इस अनुभव का एक अवसर अवश्य प्रदान करें।
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