top of page

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व एवं पूजा विधि

4 Sept 2023

जानें श्री कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास

भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हिन्दू धर्म में बड़ी धूमधाम और ख़ुशी व उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भारत में लगभग सभी लोग सम्पूर्ण दिन व्रत करते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन उत्सव प्रत्येक साल में भाद्रपद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बड़े हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन की आधी रात के समय ही भगवान विष्णु ने अपना आठवां अवतार भगवान श्री कृष्ण के रूप में माता देवकी के पुत्र रूप में लिया था जिन्हें माता यशोदा ने पाला था। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी एक दिन नहीं बल्कि 2 दो दिन की पड़ रही है। जन्माष्टमी का यह अनोखा संयोग बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर बहुत सारे कृष्ण जन्माष्टमी अनुष्ठान लोकप्रिय हैं। इस दिन मथुरा और वृंदावन में भक्तों की भीड़ रहती है। देश में जगह- जगह पर दही हांडी फोड़ने के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं तो कहीं भगवान श्री कृष्ण के कीर्तन, हवन आयोजित किये जाते हैं। यह त्यौहार इतना महत्वपूर्ण माना जाता है कि, देश की विभिन्न इलाकों में कृष्ण जन्माष्टमी 2023 के पश्चात छठे दिन श्री कृष्ण की छठी भी की जाएगी। जिसमें विभिन्न प्रकार के पकवानों को बनाया जाता है और भोग के पश्चात सभी भक्तों में वितरित किया जाता है।


श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि


श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर सुबह सूर्योदय से पहले जागकर घर में साफ सफाई करें और स्नान आदि करके सुंदर वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात चौकी पर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें। अब प्रतिमा के ऊपर और उसके आस-पास गंगाजल के छींटे लगाए। इसके बाद भगवान कृष्ण के आगे आसन लगाएं और बैठकर सीधे हाथ में थोड़ा सा गंगाजल लेकर उससे सम्पूर्ण दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री कृष्ण जन्मष्टामी का व्रत करने का संकल्प लें और जल को धरती पर विसर्जित करें। एक साफ-सुथरी थाली में धूप, अक्षत, चंदन टीका, दीपक, घी, फल, फूल, मिठाई, आदि रख लें। सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण के पैर धोएं और उनके चरणों में पुष्प और फलों को अर्पित करें। अब भगवान श्री कृष्ण के आगे धूप और गाय के शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें और हाथ जोड़कर प्रणाम करें। फिर भगवान को माखन और मिष्ठान सहित सूखे मेवों को चढ़ाएं और हाथ जोड़कर आशीर्वाद लें। अब भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा पढ़ें आरती करें और ध्यान लगा कर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार जप करें।


इसके पश्चात सभी को प्रसाद बांटे और सम्पूर्ण दिन व्रत करें। आप इस व्रत को निर्जला भी कर सकते हैं या फिर सम्पूर्ण दिन फलाहार और मिष्ठान पर व्रत कर सकते हैं। रात के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करें। रात तक भजन, कीर्तन और दही हांडी का कार्यकर्म आयोजित करें या उसमें शामिल रहें। इससे आपको लाभ होगा और आपका मन नहीं भटकेगा।


कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व


हिन्दू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व विशेष है। इस दिन भगवान कृष्ण का सम्पूर्ण देश में जन्मोत्सव मनाया जाता है और विभिन्न प्रकार के कृष्ण जन्माष्टमी अनुष्ठान किए जाते हैं। भारत में लगभग सभी व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं। इस व्रत को करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भारत देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ व्रत माना गया है। विधि- विधान से पूजा करने से इस व्रत पर आपको भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास


हिन्दू धर्म शास्त्रों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास बहुत रोचक बताया गया है। यह इस प्रकार है। एक अहंकारी राजा कंस ने अपनी बहन का विवाह वसुदेव जी के साथ किया। विवाह के पश्चात कंस को पता चला की उनकी बहन की आठवीं संतान ही उनकी मृत्यु का कारण बनेगी। ऐसा पता चलते ही उन्होंने अपनी बहन को मारना चाहा लेकिन वसुदेव जी ने कंस को कहा की हम दोनों अपनी प्रत्येक संतान जन्म लेते ही तुम्हें सौंप देंगे तुम देवकी को ना मारो। इसके पश्चात कंस को माता देवकी और वासुदेव की प्रत्येक संतान दे दी जाती और कंस उसे मारता रहता। अब उनकी आठवीं संतान यानि की भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया।


भगवान श्री कृष्ण को सबसे से छिपकर वासुदेव जी माता यशोदा के घर पर छोड़ आये और वहां से उनकी पुत्री को लाकर कंस को दे दिया। कंस ने जैसे ही उस कन्या को पटक के मारना चाहा उन्होंने एक देवी का रूप लेकर कंस को जल्द मरने की चेतावनी दे दी और गायब हो गयीं। इसके पश्चात कंस ने कई मायावी शक्तियों से भगवान श्री कृष्ण को मरवाना चाहा परन्तु कुछ न हो सका। एक समय पर भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध किया।


पंडित सतीश नागर उज्जैन


शास्त्रों की बात जाने धर्म के साथ



 FOLLOW US

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube
bottom of page