
2 Sept 2023
भवसागर में दस गुरुओं का स्थान है
सहजयोग ध्यानपद्धति शास्त्र और अध्यात्म का सुंदर मेल है। अनादिकाल से गुरु तत्व इस धरती पर अवतरित हुए और उन्होंने जनसामान्य को शिक्षा व दीक्षा प्रदान की। सहजयोग ध्यान एक शास्त्रीय पद्धति है, जो हमारे सूक्ष्म शरीर और नाड़ी तंत्र पर आधारित है साथ ही यह हमें आध्यात्मिक जीवनशैली प्रदान करता करता है "देह देवाचे मंदिर, आत आत्मा परमेश्वर" अर्थात हमारा ये सुंदर शरीर भगवान का निवासस्थान है, और हमारे आत्मारुपी भगवान हमारे हृदय में एक राजा की भाँति विराजमान हो साक्षी भाव से हमारे अंदर घटित होने वाला अंतरंग और बहिरंग खेल देख रहे हैं। सहजयोग आध्यात्मिक विज्ञान के अनुसार हमारा गुरुतत्व हमारे नाभि चक्र के इर्द-गिर्द गोलाकार फैले हुए भवसागर में है। जब हमारी माँ स्वरुपिणी कुंडलिनी शक्ति भवसागर को पार करती है तो हमें शारिरिक स्वास्थ्य प्रदान कर हमें हमारा गुरुतत्व भी प्रदान करती है।
सहजयोग के अनुसार हमारे भवसागर में दस गुरुओं का स्थान है श्री राजा जनक और श्री शिर्डी साईंनाथ हमारे दांये और बांये फेफड़ों की रक्षा कर हमें अस्थमा की बीमारी से बचाते हैं। गुरु अब्राहम हमारे जठर में पाचक रसों का विमोचन कर हमारी अन्न पाचन क्रिया को सँभालते है। गुरु मोझेस का स्थान हमारे प्लीहा (spleen) में है वे हमारा खून तैयार करके इसे स्वच्छ करते हैं । गुरू जरथुष्ट्र व सुकरात हमारी दोनों किडनियों को सुचारु रूप से चलाते हैं। गुरु लाओत्से हमारे गुदाद्वार की रक्षा करते हैं, हमें पाइल्स, फिशर से बचाते हैं। गुरु कन्फ्यूशियस हमारे यूरिनरी ब्लेडर की रक्षा करते हैं और यूरिन इन्फेक्शन पथरी जैसे रोगों से हमारी रक्षा करते हैं। गुरु मोहम्मद साहब हमारे पित्त रसों का विमोचन कर हमारे पित्ताशय को तंदुरुस्त रखते हैं। गुरु नानक देव जी, जो हमारे यकृत (liver) में स्थित है, वे हमारा चित्त शुद्ध कर हमें पीलिया जैसे रोगों से छुटकारा दिलाते हैं। आदि गुरू दत्तात्रेय की कृपासे हमारी कुंडलिनी शक्ति उर्ध्वगामी होती है व हमें शारीरिक आधि - व्याधियों से मुक्त कर हमें हमारे आत्मस्वरूप में स्थित करती है। सहजयोग ध्यान में गुरु तत्व की जागृति के पश्चात् उपरोक्त अंगों से संबंधित समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
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