
29 Aug 2024
जानिए कौन सा पूजन अनुष्ठान किस कामना के लिए किया जाना चाहिए ?
बटुक भैरव स्त्रोत्र - इस स्त्रोत्र के पाठ करने मात्र सेमहामारी राजभय अग्निभय चोरभय उत्पात भयानक स्वप्न के भयमें घोर बंधन में इस बटुक भैरव का पाठ अति लाभदाई है |तथा हर प्रकार की सिद्धी हो जाती है | इस प्रयोगका कम से कम १०८ पाठ करना चाहिए |
श्री सूक्त प्रयोग - श्री सूक्त प्रयोग एक ऐसा प्रयोग हैजिससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर घर में स्थिर रूप से निवासकरती है | इसके ११०० आवृति [ पाठ ] कराने पर विशेष लाभहोता है |
श्री कनकधारा स्तोत्र - यह स्तोत्र आद्य शंकराचार्यजी द्वारा रचित है जिसके पाठ से स्वर्ण वर्षा हुई थी |कनकधारा स्तोत्र के पाठ करवाने से घर ऑफिस व्यापारस्थल में उतरोत्तर वृद्धि होती रहती है कनकधारा मेंकमला प्रयोग से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है |
श्री मद भागवत गीता - यह महाभारत के भीष्म पर्व सेलिया गया है | इसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुनको आत्मज्ञान दिया तथा कर्म में लगे रहने के विषय मेंबतलाया है | इस के पाठ करवाने से घर में शांति सुख व्समृद्धि आती है , तथा सभी दोष पाठ मात्र से नष्ट होते हैयह अत्यंत लाभकारी है |
श्री अखंड रामचरित मानस पाठ - यह तुलसीदासद्वारा रचित है | इस मानसमें सात कांड जिसका पारायण[पाठ] अनवरत है | इसलिए इसे अखंड पाठ कहते है | यह २० से२५ घंटे में पूर्ण होता है | मानस पाठ से घर मेकाफी शांती तथा यश व कीर्ती बढती हे तथा मनुष्यसही नीती से चलता है |
सुंदर कांड पाठ - सुंदर कांड पाठ तुलसीदास द्वारा रचितरामचरित मानस से लिया गया है इस पाठ से हनुमानजी को प्रसन्न किया जाता है विशेषतः शनी के प्रकोपको शांत करणे के लिये सुंदरकांड का पाठ लाभदायकहोता है , वैसे कम से कम १०८ पाठ ब्राह्मण केद्वारा करवाया जाता है |
हनुमान चालीसा - हनुमान चालीसा कलियुग मे मनुष्यके जीवन का आधार है इसका पाठ प्रायः प्रतिदिनकिया जाता है | परंतु विशेष रूप से ४१ दिन मे प्रतिदिन १००पाठ कराने से कोई भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए कियेगया सभी अनुष्ठान पूर्ण होता है |
बजरंग बाण - बजरंग बाण के पाठ से मनुष्य स्वयं सुरक्षितरहता है | बजरंग बाण के पाठ से मनुष्य सुरक्षित राहता है इसका कम से कम ५२ पाठ करके हवन करने पर विशेष लाभप्राप्त होता है |
हरि किर्तन (हरे राम हरे कृष्ण) - प्रभूकि कृपा प्राप्ती तथा घर मे आनंद एवं सुख के लियेतथा सन्मार्ग प्राप्ती के लिये हरि किर्तनकरवाया जाता है |
श्री सुंदर कांड (वाल्मिकी रामायण ) - वाल्मिकी रामायण के सुंदर कांड का पाठ करने से संतानबाधा दूर होती है तथा इसके प्रयोग से सारी कठिनाइयसमाप्त हो जाती है | वाल्मिकी द्वारा रचित सुंदर कांडएक याज्ञिक प्रयोग है | इस पाठ का १०८ पाठविशेषतः हवनात्मक रूप से लाभ दायक है |
श्री ललिता सहस्त्र नामावली - ललिता सहस्त्र नामअर्थात दुर्गा माताकि प्रतिमूर्ती है | इस सहस्त्र नाम केपाठ से अर्चन व अभिषेक तथा हवन करने से विशेषतः रोगबाधा दूर होता है |
श्री शिव सहस्त्र नामावली - शिव सहस्त्रनामावली के कई प्रयोग है | इस प्रयोग से कई लाभ मिळते है| सहस्त्र नामावली के द्वारा अर्चन व अभिषेक तथा हवनप्रयोग से अपारशांती मिळती है |
श्री हनुमत सहस्त्र नामावली - श्री हनुमत सहस्त्रनामावली के प्रयोग से विशेषतः शनी शांती होती है |
श्री शनी सहस्त्र नामावली - शनि के प्रकोपया शनी कि साढे साती या अढ्या चालरही हो तो शनी सहस्त्रनाम का प्रयोग किया जाता है |
श्री कात्यायनी देवी जप - जिस किसी भी कन्या केविवाह मे बाधा आ रही हो या विलंबहो रहा हो तो कात्यायनी देवी का ४१००० मंत्र का जपकेले के पत्ते पर ब्राह्मण पान खाकर जप करता है , तो उसकन्या के विवाह मे आने वाली सभी बाधाये दूरहो जाती है | यह अनुष्ठान २१ दिन मे पूर्ण हो जाता है |यह प्रयोग अनुभव सिद्ध है |
श्री गोपाल सहस्त्र नाम - जबकिसी भी दंपती को पुत्र या संतान कि प्राप्ती नहो रही हो तो ,वह सदाचार तथा धार्मिक पुत्रकि प्राप्ती के लिये गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करावे |गोपाल मंत्र का सवा लाख जप पुत्र प्राप्ती मे अत्यंतलाभदायक है | यह प्रयोग अनुभूत है |
श्री हरिवंश पुराण - श्री हरिवंश पुराण कथा का श्रवणअत्यंत प्रभावी होता है | जिस किसी भी परिवार मेसंतान न उत्पन्न हो रहा हो तो इस पुराण के पारायण[ पाठ ] से घर मे संतान उत्पत्ती होती है |यह अनुभूत है तथा ,यह ७ दिन का कार्यक्रम होता है |
श्री शिव पुराण - श्री शिव पुराण मे शिव जी केमहिमा का हि विशेष वर्णन है तथा उनकेसभी अवतरो का वर्णन किया गया है | यह श्रावण मासया पुरुषोत्तम मास मे विशेष रूप से पाठ बैठाया जाता है |
श्री देवी भागवत - श्री देवी भागवत मे भी १८०००श्लोक है तथा यह माता जी के प्रसन्नता के लियेकिया जाता है ,यह प्रयोग नवरात्र या विशेष पर्व परकिया जाता है |
श्री गणपती पूजन एवं अभिषेक - किसी भी शुभ अवसरपर यह पूजन किया जा सकता है | इससे सभी बाधाये दूरहो जाती है तथा कार्य मे उत्तरोत्तर वृद्धि होती है |
भूमी पूजन ,आफिस एवं दुकान उदघाटन - भूमि पूजन एवंदुकान उदघाटन उस भूमि पर कार्य शुरू करने के पूर्ववहा का भूमि पूजन सम्पन्न किया जाता है | जिससेवहा किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो और कार्यआसानी से सम्पन्न हो जाता हैं|
पंडित सतीश नागर उज्जैन
मोबाइल - 9753585323