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शांतिपूर्ण मन सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है

(सहजयोग ध्यान जीवन को आनंदमय व संतुलित बनाता है।)

शांतिपूर्ण मन सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है

मालवा हेराल्ड |मनुष्य यह जानता है कि अशांति का कारण स्वयं का मन ही होता है। जब तक मन अशांत है l तब तक उनका जीवन सुखी नहीं हो सकता है।

आज लोगों के पास भौतिक सुविधाएं तो बहुत है l लेकिन इसके बावजूद मन में शांति नहीं होने से इंसान व्याकुल होता है l और इस सोच में लग जाता है और कौन सी सुविधा जुटाई जाए जिससे शांति प्राप्त हो सके।

धन-दौलत से संसाधन खरीदे जा सकते हैं l लेकिन शांति नहीं खरीदी जा सकती। शांति बाजार में बिकने वाली वस्तु नहीं है। कई लोग यह सोचते है कि मुख से चुप रहने से शांति मिल सकती है l लेकिन चुप रहना कोई मार्ग नही है l क्योंकि मुख से चुप रहने पर भी मन में हलचल चलती रहती है | सच्ची सुख-शांति तो तभी है जब व्यक्ति का मन चुप रहे। अशांति का कारण ही व्यक्ति का मन है। और जब तक उसका मन शांत नहीं होगा तब तक जीवन सुखी नहीं हो सकता है।
संत कबीरदास कहते हैं कि हाथ में माला फेरने और जीभ से भजन करने से ईश्वर का सच्चा सुमिरन नहीं होता है, यदि मनुष्य का मन ही एकाग्र न हो। अब सवाल यह है कि मनुष्य का मन एकाग्र कैसे हो ?

महात्मा गांधी भी कहा करते थे कि मैं शांति पुरुष हूं, लेकिन मैं किसी वस्तु की कीमत पर शांति नहीं चाहता । शांति के लिए मनुष्य को अपने जीवन को महात्मा गांधी की तरह प्रकृति से जुड़ कर नियमित और अनुशासित करना पड़ता है। जो व्यक्ति प्राकृतिक नियमों और अनुशासन के अनुसार चलता है उसका मन कभी अशांत नहीं होगा, बल्कि वह स्वयं प्रफुल्लित रहेगा और अपने आसपास के लोगों को भी सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करेगा।

दरअसल मन को नियंत्रित करने की कला ही सहज योग है | सहज योग माध्यम से ध्यान करते हुए हम अपने सूक्ष्म शरीर जो हमारे मन, बुद्धि, अहंकार आदि है, को संतुलित करने की कला सीख जाते हैं l तब हमारा मन हमारे नियंत्रण में आ जाता है l और हमें वो शांति प्राप्त होती है l जिसकी तलाश में हम बेचैन होते रहते हैं |

हमारे अंतर में स्थित सूक्ष्म शरीर में तीन नाड़ियां (बाईं ओर ईडा नाड़ी, दाहिनी ओर पिंगला नाड़ी और मध्य की सुषुम्ना नाड़ी) और सात चक्र (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, नाभि, अनहत यानि हृदय, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्त्रार ) हैं l इन्हें बहुत ही आसान तरीके से नियंत्रित किया सकता है l इन नाडियों के संतुलन से जहाँ हम अपने भूतकाल की व्यथा से और भविष्य की चिंताओं से मुक्त होते हैं l वहीं चक्रों के संतुलन से हमारे अंदर सद्गुण बडी सहजता से स्थापित होते हैं और हमारा मन शांति को प्राप्त करता है.

आज जीवन में सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है लेकिन व्यस्त जीवन में शांति पाना सबसे मुश्किल है l अत: अपने व्यस्त समय से थोडा समय निकालकर सहज योग का अभ्यास करें व आत्मिक शांति प्राप्त करें, सहज योग पूर्णतः नि:शुल्क है l अत: शांति भी नि:शुल्क प्राप्त करें l अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट www.sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं।

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