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नगर भ्रमण पर निकले काल भैरव

26 Sept 2023

भैरवगढ़ जेल परिसर में हुआ पालकी पूजन, सिद्धवट पर हुआ अदभुत मिलन

उज्जैन। भगवान काल भैरव की सवारी वर्ष में दो बार नगर भ्रमण पर निकलती है। पहली सवारी भैरव अष्टमी पर और दूसरी डोल ग्यारस के अवसर पर। ई शाम काल भैरव मंदिर से बाबा काल भैरव की सवारी निकाली और भैरवगढ़ जेल परिसर में पहुंचने पर पालकी पूजन किया गया।


उल्लेखनीय है कि काल भैरव की पहचान भगवान महाकाल के नगर कोतवाल के रूप में है। भगवान महाकाल की तरह नगर कोतवाल काल भैरव भी भ्रमण कर प्रजा का हाल-चाल जानने के लिए निकलते हैं। बीती शाम काल भैरव मंदिर से सवारी निकाली गई। नगर कोतवाल के रूप में विराजित काल भैरव की महिमा अपरंपार है। मान्यता है कि भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने से पहले नगर कोतवाल का आशीर्वाद लेना जरूरी है। श्रद्धालु भगवान महाकाल का दर्शन करने के बाद कालभैरव के दरबार में पहुंचते हैं। पुजारी पं. सदाशिव चतुर्वेदी ने बताया कि काल भैरव मंदिर में तामसी पूजा समेत तीन प्रकार की पूजा होती है। उन्होंने बताया कि भगवान काल भैरव की सवारी वर्ष में दो बार नगर भ्रमण पर निकलती है। हर साल डोलग्यारस और भैरव अष्टमी पर्व पर ग्वालियर के सिंधिया घराने से पगड़ी मंदिर लाई जाती है। भगवान काल भैरव डोल ग्यारस और भैरव अष्टमी पर प्रजा का हाल-चाल जानने के लिए नगर भ्रमण करते हैं। भगवान काल भैरव का दर्शन करने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं। भगवान काल भैरव को मदिरापान भी कराया जाता है।


डोल ग्यारस के अवसर पर सोमवार शाम भैरवगढ़ स्थित काल भैरव मंदिर से भगवान काल भैरव की भव्य सवारी निकली। सवारी से पूर्व भगवान का आकर्षक श्रृंगार किया गया व परंपरा अनुसार सिंधिया परिवार की ओर से पगड़ी धारण कराई गई। सवारी जब भैरवगढ़ जेल परिसर पहुंची तो यहां जेलर व अन्य अधिकारियों द्वारा पालकी पूजन किया गया और भैरवगढ़ जेल पर जवानों की ओर से भगवान काल भैरव को गॉर्ड आफ ऑनर दिया गया।


पूजन अर्चन के बाद निकाला कारवां


शाम 4:00 बजे कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम द्वारा पूजन के बाद सवारी आरंभ हुई। सवारी भैरवगढ़ क्षेत्र का भ्रमण करते हुए सिद्धवट पहुंची, जहां पूजन-आरती की गई। कालभैरव मंदिर के पुजारी सदाशिव चतुर्वेदी के अनुसार मंदिर में फूलों की सजावट की गई ।इसके चलते रंग बिरंगी विद्युत रोशनी से पूरा मंदिर परिसर जगमगा रहा था। सवारी में भगवान कालभैरव की पालकी, बैंड, ढोल, ध्वज, घोड़े, बग्घी के साथ झांकियां शामिल हुए। सवारी जब सिद्धवट पहुंची तो यहां बाबा काल भैरव और सिद्ध वट अदभुत मिलन हुआ। इसके पश्चात सवारी भैरवगढ़ का भ्रमण करते हुए रात्रि में पुन: कालभैरव मंदिर पहुंची।


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