
11 Sept 2023
रविवार शाम 5 उज्जैन में बारिश का आंकड़ा 35 इंच तक पहुंचा, आज भी होगी वर्षा
उज्जैन। आज से 5 दिन पहले तक उज्जैन में बारिश का आंकड़ा इस वर्ष 30 इंच पर ठहर गया था। लेकिन महाकालेश्वर में हुए अनुष्ठान के बाद से लगातार पानी बरस रहा है और पिछले 5 दिनों में बीती शाम तक साढ़े 4 इंच पानी बरस चुका था। इसके कारण बारिश का आंकड़ा बढ़कर 35 इंच तक पहुंच गया था। आज भी झमाझम बारिश की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि इस बार उज्जैन सहित समूचे प्रदेश में मानसून का आगमन समय पर हो गया था और जून तथा जुलाई माह में खूब पानी बरसा था। इस अवधि तक उज्जैन में लगभग 30 इंच वर्षा वेधशाला में रिकॉर्ड हो गई थी। परंतु अगस्त माह में अचानक मौसम बदला था और बारिश का क्रम पूरी तरह रुक गया था। सितंबर महीने के शुरुआती 4 दिन भी सूखे बीते थे और अधिकतम तापमान बढ़कर 35 डिग्री से ऊपर चला गया था। बारिश नहीं होने के कारण खेतों में किसानों की सोयाबीन की फसल सूखने लगी थी। पूरे प्रदेश के किसानों में हाहाकार मच गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाकालेश्वर में अच्छी बारिश की कामना को लेकर प्रजनन अनुष्ठान कराया था और वह खुद इसमें शामिल हुए थे। अनुष्ठान पूरा होते ही अगले दिन से उज्जैन सहित पूरे प्रदेश में झमाझम बारिश का दौर शुरू हो गया था। वेधशाला अधीक्षक डॉक्टर आरपी गुप्त ने बताया कि 5 सितंबर से लेकर 10 सितंबर की शाम 5:00 बजे तक वेधशाला में कुल 888.6 मिमी बारिश हो चुकी है। इसके पूर्व पांच अगस्त की शाम तक यहां आंकड़ा 776 मिमी था। अर्थात इन पांच दिनों में 4.43 इंच वर्षा रिकॉर्ड हुई। उन्होंने यह भी बताया है कि मानसून का सिस्टम अभी भी सक्रिय है और आज भी झमाझम बारिश के आसार है तथा अगले 4 दिन और सिस्टम सक्रिय बना रहेगा। जल्द ही उज्जैन शहर भी औसत बारिश का आंकड़ा 36 इंच पर करेगा। उम्मीद है कि यहां आंकड़ा इस बार 40 इंच के पार जा सकता है।
शिप्रा उफनी, गंभीर डेम में भी पानी बढ़ा.....
लगातार जारी वर्ष के क्रम के कारण रविवार को रामघाट से लेकर बड़े पुल तक शिप्रा नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ नजर आ रहा था। रामघाट क्षेत्र में कई मंदिर और घाट डूबे हुए थे और चक्र तीर्थ पर भी निचला हिस्सा नदी में डूब गया था। इस कारण अंतिम संस्कार ऊपरी भाग में किया जा रहा था। शिप्रा के अलावा गंभीर डेम में भी पानी की आवक लगातार होने से डेम का लेवल 2000 एमसीएफटी से ऊपर चल रहा था। त्रिवेणी क्षेत्र में कान्ह नदी भी ओवरफ्लो होकर सीधे शिप्रा में मिल रही थी।
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